________________ 322 2-1-4-2-1 (470) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन आचाराङ्गसूत्रे श्रुतस्कन्ध-२ चूलिका - 1 अध्ययन - 4 उद्देशक - 2 # भाषा-जातम् // पहला उद्देशक कहा, अब दुसरे उद्देशक का प्रारंभ कहतें हैं... इन दोनों में परस्पर इस प्रकार संबंध है कि- पहले उद्देशक में भाषा के वाच्य एवं अवाच्य का स्वरूप एवं विशेषता कही, और यहां दुसरे उद्देशक में भी वह हि वाच्य एवं अवाच्य संबंधित शेष बात कहना है... अतः इस संबंध से आये हुए दुसरे उद्देशक का यह प्रथम सूत्र है... I सूत्र // 1 // // 470 / / से भिक्खू वा० जहा वेगइयाई रूवाइं पासिज्जा तहा वि ताइं नो एवं वइज्जातं जहा- गंडी, गंडीति वा, कुट्टी कुट्ठीति वा, जाव महमेहुणीति वा, हत्थच्छिण्णं हत्थच्छिण्णेत्ति वा एवं पायच्छिण्णेति वा नक्कच्छिण्णेड़ वा कण्णच्छिण्णेड वा उदृच्छिण्णेड वा जे यावण्णे तहप्पगारा एयप्पगाराहिं भासाहिं बुइया कुप्पंति माणवा ते यावि तहप्पगाराहिं भासाहिं अभिकंख नो भासिज्जा। . से भिक्खू वाo जहा वेगइयाई रुवाइं पासिज्जा तहावि ताई एवं वइज्जा- तं जहा- ओयंसी ओयंसित्ति वा तेयंसी तेयंसीति वा जसंसी जसंसीइ वा वच्चंसी वच्चंसीड़ वा अभिरूवंसी, पडिरूवंसी, पासाइयं दरिसणिज्जं दरिसणीयत्ति वा जे यावण्णे तहप्पगारा तहप्पगाराहिं भासाई बुइया, नो कुप्पंति माणवा ते यावि तहप्पगारा एयप्पगाराहिं भासाहिं अभिकंख भासिज्जा। से भिक्खू वा० जहा वेगइयाई रुवाइं पासिज्जा, तं जहा- वप्पाणि वा जाव गिहाणि वा, तहा वि ताई नो एवं वइज्जा, तं जहा- सुक्कडेइ वा सुटुकडेड वा साहुकडेइ वा, कल्लाणेड़ वा करणिज्जेड वा एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा। से भिक्खू वा० जहा वेगइयाई रूवाई पासिज्जा, तं जहा- वप्पाणि वा जाव गिहाणि वा तहा वि ताई एवं वइज्जा, तं जहा- आरंभकडेइ वा सावज्जकडेइ वा पयत्तकडेइ वा पासाइयं पासाइए वा दरिसणीयं दरिसणीयंति वा अभिरूवं अभिरूवंति वा, पडिरूवं पडिरूवंति वा एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासिज्जा // 470 // .