________________ gestoes gestgestgestegen महारोग जलोदर भीषण, कुबड़ी हो गई कंचन-सी काया, शोचनीय दशा में पड़ा, मृत्युमुख, लूट गई सारी माया / प्रभु चरण-रज की औषध अमृत, जो नर इसका सेवन करता, वह मानव स्वास्थ्य लाभ पाकर, मकरध्वज-सा रूप निरखता।।४५।। 90se Gestagesigestreages पांवों से कंठ तक है जकड़ा, सांकलों से जो बंधा, गाढ़ बंधन बेड़ियों से, छिल गये उसके जंघा। किन्तु नाम मंत्र का स्मरण, जो करे श्रद्धा भक्ति से, बंधन-मुक्त हो जाए शीघ्र ही, मुक्ति सुख पाए प्रभो शक्ति से।। 46 / / मदोन्मत हाथी और सिंह भी, दावानल का भय अतिभारी, 6 1) दुर्जय संग्राम समुद्र जलोदर, बंधन की व्यथाएं सारी। जो जन धीरज अरू श्रद्धा से, प्रभो! आपकी स्तुति गाते, भयप्रद भयानक स्थानों से भी, शीघ्र ही वे मुक्ति पाते।। 47 / / -99 हे जिनेन्द्र! तब गुण सुमनों की, स्तोत्र माला रची सद्भावों से, भक्ति पूरित विविध वर्गों की, धारण करे जो सुभावों से। आचार्य मानतुंग की मनभावन, कंठाग्र करके जो गायेगा, उस भक्त के वश में लक्ष्मी होगी, वह परम शांति को पायेगा।।४८।। messegessegessesKGeergesic - श्री आनन्दीलालजी मेहता कृत ASTRO-90 卐