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________________ getoetstoesig Geegerstagregusa ge गया। वे शूद्र कहलाए। ये विभेद मात्र कर्म के आधार पर थे। समाज में ये तीनों वर्ग बराबर सम्मान के अधिकारी थे। शूद्र को निम्न और क्षत्रिय या वैश्य को उच्च नहीं माना जाता था। सभी वर्ग समान और परस्पर एक दूसरे के पूरक थे। सहअस्तित्व और समानता सभी लोगों के हृदय में प्रमुख थी। तब तक ब्राह्मण वर्ग का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था। र कला प्रशिक्षण - राजा ऋषभ ने लोगों को स्वावलंबी व कर्मशील बनाने के (S 1) लिए विविध प्रकार की शिक्षा दी। कला का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने सौ शिल्प और असि.मसि. कृषि रूप कर्मों का सक्रिय ज्ञान कराया। शिल्प ज्ञान में कुंभकार कर्म, पटाकार कर्म, वर्धकी कर्म आदि सिखाये। इसके साथ ही ऋषभ ने अपने ज्येष्ठ पुत्र भरत को दि 2) निम्नांकित बहत्तर कलाएं सिखाई 1. लेख - लिपि कला और लेख विषयक कला 2. गणित - संख्या कला। , 3. रूप - निर्माण कला। नाट्य - * नृत्य कला। गीत - गायन विज्ञान। वाद्य - वाद्य विज्ञान। स्वरगत - स्वर विज्ञान। पुष्करगत - मृदंग आदि का विज्ञान। 9. समताल - ताल विज्ञान। 10. द्युत - द्यूत कला। ॐ ॐ ॐ gestgesteldeutet ॐ
SR No.004425
Book TitleRushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji
PublisherMahavir Prakashan
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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