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________________ eeeORADIO sikgeetagesegetedget यौगलिक समुदाय ऋषभदेव का बहुत आदर करता था। / सभी ने उन्हें अपना राजा स्वीकार कर लिया। यौगलिकों ने अत्यन्त / विनीत भाव से प्रभु ऋषभ का राज्याभिषेक किया। इन्द्र ने यौगलिकों की इस विनीतता को देखकर प्रसन्न होते हुए वहां पर एक सुन्दर और नगर बसाया जिसे नाम दिया गया विनीता नगरी। र कर्मयुग का सूत्रपात- ऋषभदेव ने राजा बनने के पश्चात् कर्मयुग का सूत्रपात किया। उन्होंने लोगों को तीन सूत्र दिए (अ) कृषि कर्म (ब) मसि कर्म (स) असि कर्म उस युग के मनुष्य की प्रथम समस्या भूख थी। प्रभु ने कहा 'भाइयों' कल्पवृक्षों की निर्भरता को छोड़ दो। अपने श्रम पर आश्रित बनो / कृषि करना सीखो। विवेकपूर्वक अपने श्रम का उपयोग 1 करो। अन्न का एक कण हजार कणों के रूप में बदलकर तुम्हें 6 र प्राप्त होगा। ऋषभदेव ने स्वयं अन्न-उत्पादन की कला लोगों को र सिखाई। लोगों ने श्रम करना प्रारंभ कर दिया। विशाल-उपजाऊ9 र भूमि की कमी न थी। शीघ्र ही लोग प्रचुर अन्न प्राप्त करने लगे। ) उनकी भूख की समस्या का उन्हें स्थायी समाधान उपलब्ध हो गया 1) था। उस युग में प्रभु ऋषभदेव को अन्नदाता के रूप में स्वीकार किया। मसि कर्म- कृषि कर्म के पश्चात् ऋषभदेव ने लोगों को मसि ए कर्म अर्थात् शिक्षा जगत् की ओर उन्मुख किया। उन्होंने शिक्षा का ) महत्व बताया और अपनी पुत्री ब्राह्मी के सहयोग से लोगों को नि लिखना-पढ़ना सिखाया। Boegestugees gegetengestalost ugesugest ADSeeeee
SR No.004425
Book TitleRushabh Charitra Varshitap Vidhi Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji
PublisherMahavir Prakashan
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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