________________ GeegeeGeeges ॐ श्री ऋषभदेव स्तोत्र (श्री यशोविजयसूरि रचित) आदिजिनं वंदे गुणसदनं, सदनन्तामलं-बोधं रे / बोधकता गुण विस्तृत कीर्ति कीर्तित पथम विरोधं रे / / 1 / / रोधरहित विस्फुरदुपयोगं, योगं दधतमभंगं रे। भंगं नयव्रज पेशलवाचं, वाचंयम सुख संगं रे / / 2 / / संगत पद शुचिवचन तरंगं रंगं जगति ददानं रे। दान सुरद्रम मंजुलहृदयं-हृदयंगम-गुण-भानं रे / / 3 / / भानन्दित-सुर-नर-पुन्नागं, नागर-मानस-हंसं रे। हंसगतिं पंचमं गतिवासं, वासव विहिताशंसं रे।।४।। Letesteteenuste esitestosteron ANNAN शंसन्तं नयवचनमनवमं नवमंगलदातारं रे। तारस्वरमघघनपवमानं, मान, सुभट जेतारं रे / / 5 / / - 'इत्थं स्तुतः प्रथमतीर्थपतिः प्रमोदात्, श्रीमद्- यशोविजय- वाचक पुंगवेन / श्री पुण्डरीक-गिरिराज विराजमानो, मानोन्मुखानि वितनोतु सतां सुखानि / / / / 6 / /