________________ Le> >< > 5 वर्षीतप आराधना विधि पावन प्रेरणा दाता उपाध्याय प्रवर पू. श्री. 1) प्रवीणऋषिजी म.सा. 1. नवकार मंत्र 3 बार 5) 2. इच्छाकारेणं संदिसह भगवं ओ आदिनाथ भगवन् आपकी कृपा से, आज्ञा से, मार्गदर्शन से आपकी भक्ति में वर्षीतप करने की भावना है। आदिनाथ परमात्मा के प्रति मन-वचन-काया से समर्पित होकर उनके दिव्य शक्ति को ग्रहण करते हुए यथासमय रायसी-देवसी प्रतिक्रमण करना। ( कम से कम भाव प्रतिक्रमण। 4. प्रातः भक्तामर स्तोत्र का पाठ करना। क) 5. आदिनाथ भगवान को 27 णमोत्थुणं देना / णमोत्थुणं के अंत में 'वंदामि णं ( भगवं तत्थ गए इहगयं पासइ मे भगवं तत्थ गए इहगयं" वह पाठ बोलना... णमोत्थुणं के प्रारंभ में" ऊँ णमो भगवओ अरहओ सिरि उसभसामिने" 4) 6. भंगवन ढाई द्विप-15 क्षेत्र में जो जो भी साधक वर्षीतप की साधना-वि. आराधना-भक्ति कर रहे हैं उन सबके साथ मेरी साधना जुड़ जायें। आपकी कृपा से हम सबकी साधना सिद्ध हो सफल हो-मंगल हो। हमारी तप साधना से घर-परिवार-समाज देश एवं लोक के विश्व के समस्त जीवों का कल्याण हो... इसी शुभ मंगल भावनाओं के साथ... यह मंगल भावना रोज भानी... पारणे के दिन-श्रेयांसकुमार को स्मरण करना / श्रेयांकुमार पारणा करा रहे | हैं इस भावना से पारणा करना / जो भी ले रहे वह इक्षुरस सम है। इस भावना से ग्रहण करना। तप साधना में किसी भी तरह की असुविधा दिक्कत हो तो संपर्क करें। आपके तप का गुरू आनंद तीर्थ एवं गुरू आनंद फौंडेशन अभिनंदन एवं तप अनुमोदना करता है। संपर्क - गुरु आनंद फौडेशन चिंचोड़ी, (शिराल), ता. पाथड़ी, जि. अहमदनगर (महाराष्ट्र) -4141666 कार्यालय - 7 दुग्गल प्लाजा, प्रेम नगर, बिबगेवाड़ी रोड, पूणे-411037 ( टेलि नं. 020-24220681/82 फैक्स : 020-24218288 य guruanar.dtirth@gmail.com कई पुस्तक खोलो उत्तर लिखो, प्रभु आदिनाथ से वर्षीतप करना सीखो। < > GLES