________________ Los gestore g oes ऋषभ अक्षय तृतीया का गौरवशाली जैनों का है इतिहास किया पारणा आदिनाथ ने, मन में छाया हर्षोल्लास | आ.|| यौगलिक युग था जिसमें, सब निर्भय होकर रहते थे नहीं किसी ग्रह चिन्ता करते, कटुक वचन नहीं कहते थे कल्पवृक्ष से वांछित पूरे करते सुख का था आवास।।1।। पुण्योदय बिन कल्पवृक्ष भी, कब इच्छा पूरी करता मनुज-मुज सब भूख मरते, कहते ऋषभ तुम्ही कर्ता दुविधाओं को दूर निवारो, पूरी करदो मन की आश।।2।। असि-मसि-कृषि की कला सिखाकर, चले ऋषभ संयम पथ पर काम-काज सब सौंप पुत्र को, बने जगत में ज्योतिधरे मीनी बनकर रहे सत्य से, करते आत्मा का आभास।। 3 / / GOLGeegeeakGeegeeategeregusagesGsiegessed बाबा ले लो माणक-मोती-हीरा-पन्ना रथ तैयार बोलो क्या हम भेंट करें अब और नहीं है कुछ उपहार बाबा तो कुछ नहीं बोलते, रोटी बिन करते उपवास।।4।। साढ़े बारह महीनों तक नहीं, हुआ पारणा विभुवर का फिर प्रपौत्र श्रेयांस हाथ से, हुआ पारणा प्रभुवर का इक्षुरस बहराया जिसकी, आज आ रही मधुर सुवास।।5।।