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________________ आगम निबंधमाला (२९-३२)चार संध्या- सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय की लाल दिशा रहे जब तक का समय तथा मध्यान्ह एवं मध्य रात्रि का(१२ बजे से 1 बजे तक का) समय। पूर्णिमा और प्रतिपदा को लगातार 48 घन्टे दो दिन का अस्वाध्याय सूर्योदय से सूर्योदय तक रहता है। दिन और रात्रि में 12 बजे से ए क बजे तक मध्यान्ह और मध्य रात्रि का अस्वाध्याय होता है। सुबह शाम जितने समय लाल दिशा रहे तब तक अस्वाध्याय रहता है। सूर्योदय के पूर्व लगभग 40-50 मिनट लाल दिशा रहती है एवं सूर्योदय के बाद 10-12 मिनट रहती है। सूर्यास्त के पूर्व 10-12 मिनट एवं सूर्यास्त के बाद 40-50 मिनट लगभग लाल दिशा रहती है। इन सभी अस्वाध्यायों का विवेचन प्रायः भाष्य के आधार से किया गया है। अतः प्रमाण के लिए देखें- निशीथ भाष्य गा. 6078-6162, व्यव. उ. 7 भाष्य गा. 272-383, अभि. रा. कोश भाग एक पृ. 827 'असज्झाइय' शब्द। - इन 32 प्रकार के अस्वाध्यायों में स्वाध्याय करने पर जिनाज्ञा का उल्लंघन होता है और कदाचित किसी देव द्वारा उपद्रव भी हो सकता है तथा ज्ञानाचार की शुद्ध आराधना नहीं होती है अपितु अतिचार का सेवन होता है। धूमिका, महिका में स्वाध्याय आदि करने से अप्काय की विराधना भी होती है। औदारिक पुद्गल सम्बन्धी दस अस्वाध्याय में स्वाध्याय करने पर लोक व्यवहार से विरुद्ध आचरण भी होता है तथा सूत्र का सम्मान भी नहीं रहता है / युद्ध के समय और राजा की मृत्यु होने पर स्वाध्याय करने से राजा या राज कर्मचारियों को साधु के प्रति अप्रीति या द्वेष उत्पन्न हो सकता है। __अस्वाध्याय काल में स्वाध्याय करने के निषेध करने का प्रमुख कारण यह है कि भग. श.-५, उ.-४ में देवों की अर्धमागधी भाषा कही है और यही भाषा आगम की भी है। अतः मिथ्यात्वी ए वं कौतुहली देवों के द्वारा उपद्रव करने की सम्भावना बनी रहती है। - अस्वाध्याय के इन स्थानों से यह भी ज्ञात होता है कि स्पष्ट घोष के साथ उच्चारण करते हुए आगमों की पुनरावृत्ति रूप स्वाध्याय करने की पद्धति होती है। इसी अपेक्षा से ये अस्वाध्याय कहे हैं [195
SR No.004412
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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