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________________ आगम निबंधमाला है जैसे कि- ट्रेन, हवाई जहाज आदि वाहन प्रयोग, आधाकर्मी पानी या आहार लेना, गहस्थ को विहार में सामान उठाने के लिये साथ रखना या साइकिल ठेला गाड़ी (लारी) साथ रखना, स्थानक या मंदिर बनवाना, अन्य भी निर्माण कार्यों की प्रेरणा करना, निमंत्रण पत्रिका आदि के द्वारा गहस्थों को बुलाना, इकट्ठा करना; पात्र, कंबल आदि खरीद कर मंगाना; अपने हाथ से लाइट पखे आदि करना, छकाया का आरंभ करना कराना, स्नान करना, सदा के लिये पेष्ट आदि मंजन करना, गहस्थों को वस्त्र आहार आदि देना, दर्शनार्थियों के भोजन कार्य में निर्देश करना आदि कितनी ही बड़ी या छोटी स्पष्ट अनाचार प्रवृत्तियाँ समाज में शिथिल मानस से चलती है उनका प्रवत्ति रूप में आचरण करना और प्रायश्चित्त नहीं लेना यह स्पष्ट रूप से शिथिलाचार है / आपवादिक आचरण एवं प्रायश्चित्त ग्रहण . का लक्ष्य हो तो कोई भी प्रवत्ति शिथिलाचार नहीं है / शिथिलाचार की एक या अनेकों प्रवत्तियाँ करने वाला शिथिलाचारी भी यदि आगम सम्मत आचरण की पुष्टी प्ररूषणा करता है, सरलता पूर्वक अपनी कमजोरी समझता व कहता है तथा आगम सम्मत आचरणों को अपने से ज्यादा पालन करने वालों के प्रति हृदय सहित आदर भाव व सद्व्यवहार रखता है तो वह संयमाभाव या हीन अवस्था में रहते हुए भी समकित का विराधक नहीं हो सकता है तथा उसकी दुर्गति भी नहीं हो सकती है तथा वह सुलभ बोधि होकर शीघ्र ही मुक्ति प्राप्त भी कर सकता है / शिथिलाचार वत्ति होते हुए भी उसे शुद्धाचार मानना व कहना, आगम निरपेक्ष मनोनुकूल प्ररूपणा करना व आगम अनुसार चलने की वत्ति वालों के प्रति आदर भाव न रखकर असद् व्यवहार रखना, मन में उनके प्रति ईर्ष्या द्वेष एवं अनादर भाव रखना इत्यादि वत्तियाँ समकित की भी विराधना कराने वाली होती है जिससे उसकी दुर्गति व दुर्लभ बोधि होने की संभावना रहती है। सरलता, लघुता, सच्चाई, न्याय वति और निर्मल विचार ये आत्मा में धर्म या समकित टिकने के व आराधना होने के प्रमुख अंग है। अत: इन गुणों को किसी भी अवस्था में नहीं छोड़ने वाला धर्म प्रेमी - - NewsPaper | 100
SR No.004412
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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