________________ योग सत्र के प्रारम्भ में शंखप्रक्षालन कीजिए। दुर्बलता : (मानसिक) उम्र के साथ आने वाली यह मानसिक दुर्बलता है / इस अवस्था को रोका जा सकता है। सभी ध्यानाभ्यास कीजिये। धमनियों का कड़ापन (arteriosclerosis) : साधारण एवं संयमित आहार अनिवार्य है। प्राणी-चर्बी से बचिए जिसमें प्रचुर मात्रा में कोलेस्ट्रॉल नामक उपवृक्कीय कॉर्टेक्स रस होता है / रोगी को धूम्रपान बंद करना चाहिए / सभी अभ्यासों से लाभार्जन किया जा सकता है। योग शिक्षक का निर्देश प्राप्त कीजिए। धूम्रपान : (रोकना) योगाभ्यासियों को चाहिए कि वे इसका त्याग करें। यदि न करते हों तो प्रारंभ नहीं करना चाहिए | योगनिद्रा जैसी क्रियाओं से संकल्प शक्ति तीव्र होती है / अवचेतन मन में प्रभाव डालकर वह इस आदत का त्याग करा देती है। नाड़ी : (सामान्य स्वास्थ्य) सभी आमनों एवं बंधों द्वारा नाड़ियों को स्वास्थ्य - लाभ होता है। . नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, कपालभाति प्राणायाम, योगमुद्रा, प्राणमुद्रा, विपरीतकरणी मुद्रा, महावेध मुद्रा, योनि मुद्रा तथा नवमुखी मुद्रा / नाड़ी में रक्त का जमाव : 'नाड़ी' एवं 'रक्तचाप' देखिये / नासिका : (रोग) साइनोसाइटिस, सदैव सर्दी, सामान्य अवरोध, सूजन आदि का निरोध एवं निवारण निम्न अभ्यासों द्वारा किया जा सकता है.प्राणायाम विशेषकर भस्त्रिका, कपालभाति व नेति / 'जुकाम' देखिये। निराशा : इस क्षेत्र में योग बहुत सहायक है। 'चिंता' के अंतर्गत वर्णित अभ्यास देखिये। नींद : 'अनिद्रा' देखिये। पायरिया एवं मसूढाः सिर के बल किये जाने वाले आसन, विशेषकर सर्वांगासन, विपरीतकरणी मुद्रा / इनसे मुख-प्रदेश को प्रत्यक्षतः रक्त की प्राप्ति होती है। शीतली व शीतकारी प्राणायाम / . प्रत्येक दो या तीन घंटों के उपरांत प्रतिदिन दाँतों की मालिश अंगुलियों से 401