________________ सम्पूर्ण पाचन -प्रणाली स्वच्छ की गयी है, इसलिये तुरन्तं ही देर से पचने वाले अन्न ग्रहण करने से बुखार, अपचन, अजीर्ण आदि के रूप में प्रतिक्रिया हो सकती है। लाभ अनेक बीमारियों की उत्पत्ति आँत में विषैले पदार्थों के एकत्रित हो जाने से होती है जो रक्त को अशुद्ध बना देते हैं। इसका प्रतिघात समस्त शरीर पर पड़ता है। समस्त पांचन - प्रदेश के शुद्धिकरण के परिणामस्वरूप रक्त भी शुद्ध हो जाता है और स्वास्थ्य में भी असाधारण सुधार दिखाई देता है। पाचन - संस्थान से संबंधित अनेक रोगों का निवारण होता है। इन बीमारियों के अंतर्गत मधुमेह, उच्च अम्लीय अवस्था, दीर्घकालीन पेचिश, अजीर्ण तथा विषाक्त रक्त से उत्पन्न विकारों का समावेश है। स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी यह क्रिया लाभप्रद है क्योंकि शरीर के हल्केपन, मन की निर्मलता, प्रसन्नता तथा आनंद की प्राप्ति होती है। यह आध्यात्मिक साधकों के लिए भी हितकर है / क्रियायोग, कुंडलिनी योग, जप - अनुष्ठान जैसी उच्च साधना के पूर्व यह क्रिया अनिवार्य है। - हर छः महीनों के उपरान्त या विशेष परिस्थितियों में कम अवधि में यह क्रिया करनी चाहिए। सामान्य निर्देश नियम अनेक हैं जिनके विभिन्न कारण हैं / इनका पालन करना अनिवार्य है। किसी एक नियम की अवहेलना से भी समस्या उत्पन्न होनी संभव है। नियम - भंग के परिणामस्वरूप अभ्यासी इससे प्राप्त होने वाले अनेक लाभों से वंचित हो जायेगा। विधि का स्थूल वर्णन अवश्य किया गया है परन्तु योग शिक्षक के निर्देशन के बिना यह क्रिया न करें। यह बात सदैव स्मरण रखें / लघु शंखप्रक्षालन शंख प्रक्षालन में वर्णित विधि से नमकीन जल तैयार कीजिये। प्रातःकाल बिना कुछ खाये - पिये दो गिलास यह पानी पीजिये। ... 338