________________ हनुमानासन हनुमानासन इनुमानासन विधि .... दाहिने घुटने को जमीन से टिकाकर बैठिये / बायें पैर को दाहिनें घुटने के बाजू में रखिये / शरीर के दोनों तरफ दोनों हथेलियों को भूमि पर समतल रखिये। -धीरे - धीरे बायें पैर को सामने एवं दाहिने पैर को पीछे फैलाइये। इस क्रिया में शरीर को हाथों से सहारा दीजिये / : नितम्बों को भूमि पर टिकाने तक उपरोक्त क्रिया कीजिये / . हथेलियों को जोड़कर प्रार्थना की स्थिति में छाती के सम्मुख रखिये / समय सुखपूर्वक जितनी देर हो सके , प्रत्येक ओर से अभ्यास कीजिये | एकाग्रता आध्यात्मिक : आज्ञा या अनाहत चक्र पर / - इस आसन के पश्चात् दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाइये। . लाभ सामने के अंगों तथा स्नायुओं पर लाभदायक प्रभाव डालता है। प्रजनन -संबंधी दोषों को दूर करने में उपयोगी है / तथा अंगों को वेदनारहित प्रसव हेतु तैयार करता है। ... पैरों, जाँघों तथा श्रोणि-प्रदेश के रक्त-संचालन में सुधार करता है। . 249