________________ हस्त पाद अंगुष्ठासन ___ हस्त पाद अंगुष्ठासन हस्त पाद अंगुष्ठासन विधि बायीं ओर लेट जाइये / दोनों हाथ सिर की ओर तने रहें। दाहिना पैर बायें पैर पर तथा दाहिनी हथेली बायीं हथेली पर रहे। : : दाहिने पैर एवं हाथ को धीरे-धीरे उठाइये जब तक कि वे जमीन से 45 अंश का कोण न बना लें / शरीर कहीं से भी झुकने न पाये। अब पुनः उन्हें पूर्व स्थिति में ले आइये / पुनः उसी पैर एवं हाथ को उठाइये / घुटने को बिना झुकाये ही हाथ से पैर के अंगूठे को पकड़िये / पुनः धीरे - धीरे उन्हें पूर्व स्थिति में ले आइये ! / दूसरी ओर लेटकर बायें पैर एवं हाथ से इसी की आवृत्ति कीजिये / प्रत्येक ओर अधिक से अधिक 10 बार अभ्यास कीजिये / श्वास पैर को उठाते समय पूरक (श्वास लेना) तथा झुकाते समय रेचक (श्वास छोड़ना) कीजिये। एकाग्रता शारीरिक हलचल पर। लाभ नितम्बों के जोड़ों को लचीला बनाता है एवं चर्बी को दूर करता है | युवतियों के लिए विशेष लाभप्रद है। 176