________________ 576 ) मीसिद्धहेमशब्दानुशासनं [ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका शसो नः।२।१। 17 // शीतोष्णादतौ। 7 / 3 / 20 / / श्यामलक्षणा-ष्टे / 6 / 1 / 74|| शस्त्रजीवि-वा / 7 / 3 / 62 / / शीर्षः स्वरे तद्धिते / 3 / 2 / 10 / / श्यावारोकाद्वा / 7 / 3 / 153 // शाकटशा-।।७।१।७८॥ शीर्षच्छेदाद्यो वा / 6 / 4 / 184 // | श्येतैतहरित-नश्च / 2 / 4 / 36 // शाकलादकञ् च 6330173 // शीलम् / 6 / 4 / 59 // श्यैनंपाता-ता।६।२।११५ // शाकीप-श्च / 7 / 2 / 30 / / शीलिकामि-णः / 5 / 1 / 73 / / श्रः शतं हविःक्षीरे / 4 / 1 / 100 / . शाखादेयः / 7 / 1 / 114 / / शुक्रादियः। 6 / 2 / 103 / / श्रन्थग्रन्थे नलुक् च / 4 / 1 / 27 // शाणात् / 6 / 4 / 146 // शङ्गाभ्यां भारद्वाजे।६।०६३ / / श्रपेः प्रयोक्त्रैक्ये / 4 / 1 / 101 / / शान्दान्मान्बधा-तः / 3 / 47 // | शुण्डिकादेरण् / 6 / 3 / 154 / / श्रवणाश्वत्थान्नाम्न्यः / 6 / 2 8 / / शार्प व्याप्यात् / 5 / 4 / 52 // | शुनः / 3 / 2 / 90 // श्रविष्ठाषाढादीयण / 6 / 3 / 105 // शाब्दिकदाद-कम् / 6 / 4 / 45 // शुनीस्तन-धेः / 5 / 3 / 119 / / श्राणामांसौ-वा।६।४।७१ // शालङक्यौदिषा-लि / 6 / 137 // शुनो वश्चोत् / 7 / 1 // 33 // श्राद्धमद्य-नौ / 7 / 1 / 169 / / शालीनको-नम् 6 / 4 / 185 // शुभ्रादिभ्यः।६।१।७३ // श्रितादिभिः / 3 / 1 / 62 / / .. शाससहन:-हि। 4 / 2 / 84 // शुष्कचूर्ण-व / 5 / 4 / 60 // श्रुमच्छमी-यञ् / 7 / 3 / 68 // शासूयुधिशि-नः / 5 / 3 / 14 / / / शूर्पाद्वाञ् / 6 / 4 / 137 // श्रुवोऽनाप्रतेः। 3 / 3 / 71 // शास्त्यसूवक्ति-रङ् / 3 / 1 / 60 / / शूलात्पाके / 7 / 2 / 142 // श्रुसदवसभ्यः -वा / 5 / 2 / // शिक्षादेश्वाण / 6 / 3 / 148 // शूलोखाद्यः / 6 / 2 / 141 / / श्रस्र द्रप्र-र्वा / 4 / 1 / 61 // शिखादिभ्य इन् / 7 / 2 / 4 / शङखल-भे। 7 / 1 / 191 // श्रेण्यादिकृता-र्थे / 3 / 1 / 104 / / शिखायाः / 6 / 276 // शङ्गात् / 7 / 2 / 12 // श्रोत्रियादलुक च / 7 / 1 / 71 // शिटः प्रथ-स्य / 1 / 3 / 35 // शकमगम-कण / 5 / 2 / 40 // श्रोत्रीषधि-गे। 7 / 2 / 166 / / शिट्यघोषात् / 1 / 3 / 55 / / शंवन्देरारुः / 5 / 2 / 35 // श्रो वायुवर्णनिवृत्ते / 5 / 3 / 20 / / शिट्याद्यस्य द्विती०१।३।५९॥ शेपपुच्छला-नः / 3 / 2 / 35 // श्रौतिकृवुधिवु-दम्. / 4 / 2 / 188 / / शिडढेऽनुस्वारः / 1 / 3 / 40 // शेवलाद्यादे-यात् / 7 / 3 / 43 / / वादिभ्यः / 5 / 3 / 92 // शिदवित् / 4 / 3 / 20 // शेषात्परस्मै।३।३।१००॥ श्लाघह्न स्था-ज्ये / 2 / 2 / 60 // शिरसः शीर्षन् / 3 / 2 / 101 // शेषाद्वा / 7 / 3 / 175 // श्लिषः / 3 / 4 / 56 // शिरीषादिककणौ। 6 / 277 // शेषे / 2 / 2 / 81 // श्लिषशीङ्-क्तः। 5 / 1 / 9 // शिरोऽधसः-क्ये / 2 / 3 / 4 // शेपे।६।३।१॥ श्वगणाद्वा / 6 / 4 / 14 // शिघुट।१।१।२८॥ शेधे भविष्यन्त्ययही 54.20 // श्वन्युवन्म-उः / 2 / 1 / 103 / / शिलाया एयञ्च / 7 / 1 / 113 / / शेषे लुक / 2 / 1 / 8 / / श्वयत्यसूबच-सम् / 4 / 3 / 106|| शिलालिपात्रे।६।३। 189 / / शोकापनुद-के / 5 / 1 / 143 / / / श्वशुरः श्रभ्यां वा / 3 / 1 / 123 / / शिल्पे।६।४। 57 // शोभमाने / 6 / 4 / 102 // श्वशुराद्यः / 6 / 1 / 91 / / शिवादेरण। 6 / 1 / 60 // शो व्रते / 4 / / 4 / 13 / / श्वसजपवम-मः / 4 / 4 / 75 / / शिशुक्रन्दा-यः / 6 / 3 / 200 // शौनकादिभ्यो णिन् / 5 / 3 / 186 / / श्वसस्तादिः / 6 / 3 / 84 // शीङ ए: शिति / 4 / 3 / 104 // शौ वा / 4 / 2 / 95 // श्वसो वसीयसः 7 / 3 / 12 / / शीडो रत् / 4 / 2 / 115 / / अश्चातः / 4 / 2 / 96 // श्वस्तनी ता-तास्महे // 33 // 14 // शीशद्धानिद्रा-लुः / 5 / 2 / 37 // / भास्त्योर्लक् / 4 / 2 / 90 // श्वादिभ्योऽञ् / 6 / 2 / 26 / / शीताञ्च कारिणि / 7 / 1 / 186 / / | श्यः शीद्रवमूर्ति-शें / 4 / 1197 // श्वादेरिति / 7 / 4 / 10 // शीतोष्णत-हे। 7 / 1 / 92 // .श्य-शवः / 2 / 1 / 116 / / | श्वेताश्वाश्वतर-लुक / 3.4 / 45|