________________ 554 ] श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासन [ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका ऋतो र:-नि / 2 / 1 / 2 // / ऋल्वादेरे-प्रः / 4 / 2 / 68 // | एष्यत्यवधौ-गे।५।४।६॥ ऋतोर-ते।१।२।२६ // ऋस्तयोः।१।२।५ // एष्यहणेनः / / 2 / 94 // ऋतो रीः। 4 / 3 / 109 / / | लूंत-वा / 1 / 2 / 3 // ऐकायें / 3 / 2 // 8 // ऋतो वा तौ च / 1 / 2 / 4 // | लुत्याल वा / 1 / 2 / 11 // ऐदौत-रैः। 1 / 2 / 12 // ऋत्तृषमृषकृश-सेट् / 4 / 3 / 24 // | लुदियतादि / 3 / 4 / 64 // ऐषमापरुर्षे 72 / 10 / / ऋत्यारु-स्य / 12 / 9 // लृदन्ताः -नाः / 1 / 1 / 7 // ऐषमोह्यःश्वसो वा / 6 / 3 / 19 / / ऋत्वादिभ्योऽण् / 6 / 4 / 125 / / | ए ऐ ओ औ-रम् / 1 / 1 / 8 // ओजःसहो-ते / 6 / 4 / 27 // ऋत्विदिश-गः / 2 / 1 / 69 // एः। 1 / 4 / 77 // ओजोञ्जःस-टः / 3 / 2 / 12 / / ऋदुदितः / 1 / 4 / 70 // एकद्वित्रि-ताः / 1 / 1 / 5 // ओजोऽप्सरसः / 3 / 4 / 28 // ऋदित्तरतम-श्व / 3 / 2 / 63 / / एकद्विबहुषु / 3 / 3 / 18 // ओत औः।१।४।७४|| ऋदुपान्त्याद-चः। 5 / 1 / 41 // एकधातौ कर्म-ये / 3 / 4 / 86|| ओतः श्ये / 4 / 2 / 103 // दुशनस्पु-हः / 1 / 4 / 84 // | एकशालाया इकः / 7 / 1 / 120 / / ओदन्तः / 1 / 2 / 37 // ऋडवर्णस्य।४।२।३७ / / एकस्वरात् / 6 / 2 / 48 // ओदौतोऽवाव् / 12 / 24 // ऋद्धनदीवंश्यस्य।३।२।५॥ एकस्वरादनु-तः / 4 / 4/56|| ओमः प्रारम्भे / 7 / 4 / 96 // ऋध ईत् / 4 / 1 / 17 // एकागाराचौरे / 6 / 4 / 118 // ओमाङि।१।२।१८॥ ऋन्नरादेरण।६।४।५१॥ एकात्-स्य |72 / 111 // ओर्जान्तस्था-णे / 4 / 1 / 60 // ऋन्नित्यदितः / 7 / 3 / 171 // एकादशषोडश० 3 / 2 / 9 / / ओष्ठयादुर् / 4 / 4 / 117 // ऋफिडादीनां / 2 / 3 / 104 // एकादाकि-ये / / 3 / 27 // औता / 1 / 4 / 20 // ऋमतांरीः / 4 / 455 // एकादेः कर्मधारयात् / 7 / 2 / 58|| औदन्ता स्वराः / 1 / 1 / 4 / / ऋर लुलं-षु। 2 / 3 / 99 // एकार्थ चानेकं च 331022 // औरोः।१।४।५६॥ ऋवर्णदृशोऽहि / 4 / 3 / 7 // | एकोपसर्गस्य च घे / 4 / 2 / 34 // कंशंभ्यां-भम् / 7 / 2 / 18 // ऋवर्णव्यञ्ज-ध्यण् / 5 / 1 / 17 // | एजेः। 5 / 1 / 118 / / कंसार्धात् / 6 / 4 / 135 // ऋवर्ण,यूणुगः कितः / 4 / 4 / 57 / / एण्या एयब् / 6 / 2 // 38 // कंसीयात् ञ्यः / 6 / / 4 / / ऋवर्णात् / 4 / 3 / 36 // एतदश्च से। 1 / 3 // 46 // | ककुदस्या-म् / 73 / 167|| ऋवर्णोवर्ण-लुक् / 7 / 4 / 71 / / | एताः शितः / 3 / 3 / 10 / / कखोपान्त्य-दोः / 63 / 59 / / ऋवर्णोवर्णा-च / 7 / 3 / 37 // / एत्यकः / 2 / 3 / 26 // कगेवनूजनै-रञ्जः / 4 / 2 / 25 / / ऋवृव्येद इट।४।४। 80|| एत्यस्तेर्वृद्धिः / 4 / 4 / 30 // काश्च / 4 / 1 / 46 / / ऋश्यादेः कः।६।२।९४|| एदापः / 1 / 4 / 42 // कच्छाग्निवस्त्र-दात् / 6 / 3 / 60 / / ऋषभोपा-व्यः।७।१।४६|| / 1 / 1 / 23 // कच्छादेर्नू नृस्थे / 63 / 55 // ऋषिनाम्नोः करणे / 5 / 2 / 86 / / ) एदोतः-लुक् / 1 / 2 / 27 // कच्छवा डुरः / 7 / 2 / 59 // ऋषिवृष्ण्यन्धककुरु० ६श६॥ / एदोद् देश एवेयादौ / 6 / 19 // कटः / 7 / 1 / 124 // ऋषेरध्याये / 6 / 3 / 145 // | एदोद्भ्यां -रः।१।४।३५।। कटपूर्वात्प्राचः / 6 / 3 / 58 // ऋषौ विश्वस्य मित्रे / 3 / 2 / 79|| | एद् बहुस्भोसि / 1 ! 4 / 4 // कठादिभ्यो वेदे लुप् / 6 / 3 / 183 / / ऋस्मिपूजशौ-च्छः / 4 / 4 / 48 // | एयस्य / 7 / 4 / 22 / / कडारादयः कर्म 3211158 / / ऋहीघ्राधा-ौ / 4 / 2 / 76 / / | एयेऽग्नायी / 3 / 2 / 52 // कणेमनस्तृप्तौ / 3 / 1 // 6 // ऋतां विडतीर् / 4 / 4 / 116 // | एये जिलाशिनः / 7 / 4 / 47 // कण्डवादेस्तृतोयः / 4 / 9 / / ऋदिच्छिवस्तम्भू-वा // 3 // 4 // 65 // / एषामीय॑ञ्जनेऽदः / 4 / 2 / 97 // / कतरकतमौ- 3312109 // itin