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________________ 53 अढीछीपना नकशानी दकीगत. चार नदी 451 योजन अने एक कला पर्वतनां शिखर उपर चाले ए रीते अहनो विस्तार पर्वतनां विस्तार मांडेथी काढी अर्ज करीए तेवारे एवं पूर्वोक्त मान लाने तेवार पठी पर्वतना विस्तारने बेडे जश्ने पोतानी जीनी उपर थश्ने पोतपोताना नि पात कुंढने विषे ते नदी पडे, तथा पोतपोतानी जीजीना पहोलपणाने पचीशमे जागे वृतवैताढ्य तथा मेरु तेने मूकीने जे नदीनुं मुख दक्षण सामुंबे, ते नदी पूर्व समुदिशि तरफ वले अने जे नदीनुं मुख उत्तर सामुं , ते पश्चिम समुअदिशि वले; एटले हेमवंत तथा हिरण्यवंतनी बे नदी वृतवैताढ्यने बे कोस वेगलो मूकी पूर्व तथा पश्चिमदिशिए वले तथा हरिवर्ष अने रम्यकूनी बे नदी चार कोश वृत वै ताढ्यने वेगलो मूकीने पूर्व पश्चिम दिशिए वले. तथा महा विदेहनी बे नदी आठ कोस मेरु पर्वतने वेगलो मूकी पूर्व पश्चिम दिशिए वले. हेमवंत देत्रमाहे रोहितांशा तथा रोहिता एवे नामे बे नदी, ते प्रत्येकनो गंगानदी करतां बमणो परिवारले. एटले अहावीश हजार नदीना परिवारे परिवरि ने तेमज हिर सवंत देवमांहे सुवर्णकुला अने रुप्पकुला एवे नामे बे नदी , ते पण रोहितांसा नदी नी परे अहावीश हजार नदीए परिवरीने, तथा हरिवर्ष देत्रनेविषे हरिकंता अने दरिसलिलानामे बे नदी ते गंगानदीथी चोगणा परिवार वाली . एटले उप्पन हजार नदीए परिवरीजे. तथा ए पूर्वोक्त नदी सदृश रम्यक् देवने विषे नरकंता अने नारी कंता ए नामे बे नदी ते पण एटलीज बप्पन हजार नदीए परिवरी . तथा सी तोदा अने सीता ए बे नदी महाविदेह क्षेत्रमा ने ते एकेकी नदीमांहे पांच लाख बत्री स हजारने आमत्रीश नदी संबंधी पाणी पडे बे. कुरुक्षेत्रने विषे चोराशी हजार नदी उजे. वली अंतर नदी तथा एकेकी विजये गंगा, अने सिंधु ए बे बे महानदी बे, तो सोल विजयमांदे बत्रीश महोटी नदी थ ते प्रत्येक नदीनो परिवार चौद द जारनो गणतां 437000 हजार थाय, तेनी साथे पाबली कुरूक्षेत्रादिकनी 4030 नदी मेलवीए तेवारे 532037 नदीनुं पांणी सीतोदा नदीमांहे नले बे. तथा सी ता मांहे पण एटली नदीनुं पाणी जले . ते माटे बमणी करीए तेवारे 1064076 एटली नदी महा विदेह क्षेत्रमांहे जाणवी. हवे जंबूहीपनी सर्व नदीनी संख्या कहेले बत्रीश विजयनी चोसम नदी, तथा सीतोदा अने सीता ए बे नदी तथा जरतादिकनी गंगा प्रमुख बार नदी ए सर्व एकठी करतां होतेर महोटी नदी जाणवी. अने बत्रीश विजयनी बार अंत्तर नदी ए नेवू मूलगी नदी बे. बाकी बीजी परिवारनी नदी चौद लाखने उप्पन हजार बे.
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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