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________________ अढीवीपना नकशानी हकीगत. 45 अने वन खंडे करी चोफेर वीट्यो, तेना उपर सिझनुं देहेरुंडे, तेनुं वर्णन जीवानि गम सूत्रथी जाणवू बीजा दश कूट पण एटलाज लांबा पोहोला अने जंजा जाणवां. ___ एमज चूल्हेमवंतकूटने विषे चूलहेमवंतगिरिकुमार देवनो प्रासादावतंसक प्रमुख तथा तेनी चुलहेमवंत नामे राजधानी असंख्यातमे जंबूहीपे जाणवी शेष थाकता सर्व कूटोनी वक्तव्यतामां पण देवताना प्रासाद सिंहासन, परिवार प्रमुख ते सर्व कहेवा. इहां चुल्लहेमवंतकूट, जरतकूट, हेमवंतकूट वैश्रमणकूट ए चार कूटने विषे देवता जाणवा शेष 3 कूटने विषे देवांगना जाणवी ए पर्वत महाहेमवंत पर्वत आश्रयी लं बाश् आदिकमां लगारेक न्हानोबे, वली चुतहेमवंतनामे देवता एक पख्योपमायुये 3 हांवशेडे. तेथी (चूस के०) लघुहेमवंत पर्वत एवं एनुं शाश्वतुं नाम इति // हवे हेमवंत युगलीयाना देत्रनुं वर्णन कहेडे, चुलहेमवंत वर्षधर पर्वतने उत्तर दिसे ए हेमवंत क्षेत्र, ते 2105 योजन उपर उंगणीसीया पांच नाग एटबुं पोहोल पणेने, एनी बाह 6755 योजन उपर उंगणीसीया त्रण नागबे, तेनी जीवा पण 37674 यो जन उपर उंगणीसीआ पंदर नागडे. एनुं धनुपृष्ठ 3740 योजन उपर उंगणीसीआ दश नाग एटलुं परिधि पणेने, एमां त्रीजा सुखममुखमा श्रारा सरखो सरूप जाणवो. यहां रोहिता नदीनी पश्चिम दिसे अने रोहितांशा नदीनी पूर्व दिसे हेमवंत देवने मध्य नागे शब्दापाती नामे वृत्त वैताढ्य पर्वत बे,ते एक हजार योजन ऊंचो, अढीशो योजन धरतीमा जंडोने, तथा नीचे अने उपर लांबो पोहोलो सर्वत्र सरखो धान न रवाना पालाने संस्थाने, एक हजार योजन लांबो पोहोलो अने 3162 योजन कांश्क जाफेरी एटली परिधि, वेदिका अने वनखंडे करी चारे बाजु वींटेलो तेनी उपर या वत् सिंहासन प्रमुख परिवार सहित जाणवा तथा ए पर्वतनी न्हानी महोटी वाव्यने विषे यावत् बिल्लने विषे शब्दापाती जेवा वर्णवाला एना सरखा अनेक जातीना कम ल ने तेणेकरी तथा इहां स्वाती नामे देवता एक पट्योपमनां आनखावंत, चारहजार सामानीक देवो आदिक सहित थको वसे, यावत् विजय देवनी पेरे राजधानी वा लो , तेथी ए पर्वतनुं शब्दापाती वृत्तवैताढ्य एवं शाश्वतुं नाम . तथा चुल्ल हेमवंत अने महा हेमवंत ए बे वर्षधर पर्वते वे पासे दक्षण उत्तर दिसे ए क्षेत्रने गोपव्युंडे, मर्यादा कीधी, नित्ये सदैव हेम सुवर्ण प्रकाशे, तथा श्हां हेमवंत नामे देवता एक पट्योपमने थानखे वशे तेथी हेमवंत देत्र एवं एनुं शाश्वतुं नामबे. हवे महा हेमवंत नामे वर्षधर पर्वत कहेजेः-हेमवंत क्षेत्रने उत्तर दिसे अने हरिवर्ष क्षेत्रने दक्षण दिसे महाहेमवंत नामे वर्षधर पर्वत,ते बशे योजन ऊंचपणे अने पञ्चाश
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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