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________________ 44 अढीछीपना नकशानी हकीगत. समुखमा नलतां दश गुणो प्रवाह होय तथा पोहोल पणाथी पञ्चाशमो नाग जंम पणे होय गंगानदी बे पासे बे पद्मवर वेदिका अने बे वनखंडे करी वींटी. ए गंगानदीनी पेरेज सिंधुनदीनुं स्वरूप पण जाणी लेवं मात्र ते पद्माहने पश्चिम दिसिने तोरणे नीकली थकी सिंधुश्रावर्त्तन नामा कूटने फरीने ददण दिसा तरफ चा ली थकी सिंधुप्रपातकुंडमां पमी तिहां सिंधुदेवीनो सिंधु नामे हीप जाणवो यावत् तिमिश्रा गुफा नीचे वैताढ्य पर्वत नेदीने पश्चिम दिसी साहामी वली थकी चौदह जार नदीये पुराती लवण समुअमां नली तेनो शेष अधिकार गंगानी परे जाणवो हवे ते पद्मप्रहने उत्तरदिसिने तोरणे रोहितांसा महानदी नकली ते 276 योजन अने जंगणीसीया ब नाग उत्तर दिसि साहामी पर्वत उपर जश्ने कांश्क काफेरा शो योजनने प्रपाते रोहीतांशा प्रपात कुंडमां जश् पडेबे, ते कुंड एकशोने वीश योजन लांवो अने पोहोलो, कांक जणा त्रणसो एंसी योजन परिधि पणे बे, दश योजन जंडो बे, तेना मध्यनागे रोहितांशा नामे छीप, ते शोल योजन लांबो अने पोहोलो बे, बे कोश पाणी थकी उंचो , तिहां रोहितांशा देवीनुं जवन जाणवू इत्यादिकएनो बीजो सर्व अधिकार पूर्वला कुंमनी परे कहेवो. ते रोहितंसा प्रपातकुंडने उत्तर दिसिने तोरणे रोहितंसा नदी नीकली थकी हेमवंत युगलीयानां क्षेत्र मांहे जाती जाती, चौद हजार नदीये पुराती पुराती, शब्दापाती नामे वृत्तवैताढ्य पर्वतने अर्ड योजने पण पोहोती थकी, पश्चिम दिसि साहामी व ली थकी, हेमवंतखेत्रने बे नागे वेचती थकी, अहावीश हजार नदीये पुराती जरा ती नीचेथी जगतीने नेदीने लवण समुछ माहे जले . ए नदीनो मूले प्रवाह सा डाबार योजन पोहोलपणे अने एक कोश ठंड पणे , पढी मात्राये मात्राये बे पासे वधती समुपमाहे पेशतां 125 योजन पोहोल पणे प्रवाह बे, अने अढी योजन ऊंड पणे जे, ए बे पासे बे पद्मवरवेदिका अने वे वन खंडे करी वीटी बे. हवे चुलहेमवंत पर्वत उपर अगीश्रार कूट, तेनांनाम कहेवेः-१ सिकायतनकूट एना उपर सिझनुं देहेरंबे, 2 चूल हेमवंत गिरिकुमार देवकूट, एना उपर ए पर्वतना ए कूटने नामे देवतानो निवास जुवन,३ नरतदेवकूट एना उपर जरतदेवना नरतदेवता नो निवास,४ श्लादेवीकूट,५ गंगादेवीकूट, ६श्रीदेवीकूट, 7 रोहितंसादेवीकूट,सिंधु देवीकूट,ए सुरादेवीकूट, 10 हेमवंतदेवकूट, 11 वैश्रमण लोकपाल देवकूट, पूर्वदिसिना लवण समुप्रने पश्चिम दिसे श्रने चुलहेमवंत नामा कूटने पूर्व दिसे प्रथम सिकायतन कू ट ते पांचशे योजन ऊंचो, मूलमां पांचशो योजन पोहोल पणे, वच्चे ३७५.योजन पोहोल पणे, उपर श्रढीसे योजन पोहोल पणे, गोपुबने संस्थाने, ते कूट पद्मवरवेदिका
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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