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________________ अढीवीपना नकशानी दकीगत.. ___ हवे त्रीजी परिधिनां कमल कहेजेः-त्रीजा वलयनी प्रत्येक दिसाये चार चार हजार कमल गणतां चार दिसाये शोल हजार कमल श्रीदेवीना आत्मरक्षक देवोनां बे. वली ते मूल कमलने चोफेर त्रण बीजा परिक्षेप में, एटले मांदेली, विचली अने बाहिरली एवी त्रण परिधि अर्थात् चोथी, पांचमी अने बही ए त्रण परिधिनां कम लोमां श्रीदेवीनां श्रालियोगिक किंकर देवो रहेने, तेनी संख्या कहे, चोथी मांहेली परिधिमा बत्रीश लाख कमलबे, विचली पांचमी परिधिमां चालीश लाख कमल अने बाहेरली बही परिधिमां अमतालीश लाख कमल, ए त्रण परिधिना एक क रोमने वीश लाख कमल थया तेनी साथे आगली त्रण परिधिनां तथा मुखकमलम लीने 50120 कमल मेलवीये तेवारे सरवाले 12050120 कमल थाय. सर्व कमल जं वृदनी पेठे शाश्वता पृथवीकाय रूपने, परंतु कमलना श्राकारे , माटे कमल कही ने वखाण्या , अने पहेली परिधिना कमलथी बीजी परिधिना कमल अर्क प्रमाण वाला बे, एम आगल पण सर्व परिधिये अर्ड अर्ड प्रमाण वाला कहेवा तथा एप असहने विषे जेम कमलोनो परिवार वखाण्यो तेम बीजा पर्वतोनां सह संबंधी पण एमज परिवार जाणवो. पद्मबहने विषे घणा कमल पद्मबहने आकारे पद्मनह सरि खाने, माटे एनुं पद्मपद एवं शाश्वतुं नाम बे, शहां श्रीनामेदेवी महाशद्धिवंत यार एक पत्योपमना आउखावाली वसे, ए कमलनुं चित्र जोQ. हवे ए अहना बारणां प्रमुख वखाणतो बतो बीजा पर्वतीनां उह संबंधी वक्तव्यता पण सायेज कहेजे. हिमवंत तथा शिखरी ए बे पर्वतो उपर पद्म तथा पुंमरीक ए बे पहने विषे एक पूर्वदिशि, बीजो पश्चिम दिशि, त्रीजो मेरुपर्वतने सन्मुख ए त्रण छार, ते बारणा पण स्वस्वदिशि सहना मानथी, एंशीमे नाग प्रमाणे. ते केम ? तोके-अहनो जे विस्तार पांचसे योजन पूर्व अने पश्चिम दिशिए , ते एंसीमे जागे वहेंचीए तेवारे सवाल योज न श्रावे; तेमाटे पूर्व अने पश्चिमनां बारणां पहने विषे सवाब यो न पहोलांबे. अने मेरुसन्मुख हजार योजन अहजे, ते एंसीनागे वहेंचीए तेवारे सोडावार योजन नागे श्रावे तेमाटे मेरुसन्मुख अहनां बारणा साडाबार योजन पहोला , एम जाणवू. ते कार तोरणसहित तथा तेमांथी नदी नीकली बे, तेणे करी सहित बे. शेष बीजा चार अहने विषे दक्षिण अने उत्तर दिशाए बेबे बारणांबे तेमना मध्ये जे मेरु सामा बारणा ते बारणा स्वदिशि पहना एंसीमे नागेजे. जेम महापद्म तथा महा पुंमरीक ए बे अह मेरुदिशि सन्मुख बे सहस्त्र योजन बे, तेमना लांब पणाने एंसीनागे वेहे चतां पचीश योजन श्रावे, तो जे मेरु सन्मुख बारगुंडे ते पचीश योजननुं बे. अने
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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