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________________ अढीहीपना नकशानी हकीगत. 37 रतां एटले जे स्थानके जरत तथा ऐरवतनी नदी समुजमां प्रवेस करे तथा जे स्था नके बत्रीश विजयनी नदी सीतानदी अने सीतोदानदी मांहे प्रवेश करे ते स्थानक विशेष नदी सागर संगम उत्तम स्थानक कहीये तिहां दक्षणाई जरतमा एक पूर्वदि सिये मागध तीर्थडे बीजुं पश्चिम दिसिये प्रनास तीर्थ तथा ए बे तीर्थनां वच्चमा एक वरदाम तीर्थळे. एरीते जरत देत्रमांत्रण तीर्थ डे तेमज ऐरवतमां तथा बत्रीश विजय मां पण प्रत्येके त्रण त्रण त्रीर्थ गणतां सरवाले जंबुद्वीपमां एकशोने बे तीर्थ डे. // श्रथ वैताढ्यपर्वत वर्णन // . हवे जरतदेत्रमा पूर्व पश्चिमे लांबो अने उत्तर ददणे पोहोलो वैताढ्यनामे पर्वत ते पच्चीश योजन ऊंचो ने अने पच्चीश योजननो चोथो नाग सवाउ योजन नूमी माहे डे ए अढीवीपमा एक मेरुवीना वीजा सर्वपर्वत जेटला उंचपणे होय तेनो चोथो नाग धरतीमा होच तथा पञ्चाश योजन पोहोल पणे तेनी बाह पूर्व पश्चिमदिसे 477 यो जन अने उपर एक योजननां श्रोगणीसीया शोल नाग लांबपणे , तेनी जीवा पण उत्तर दिसे 20720 योजन उपर जंगणीसीया बारनाग लांबपणे 2 तथा तेनुं धनुपृष्ट दहण दिसे 10743 योजन उपर उंगणीसीया पंदरनाग परिधिपणे रुचकनामे जे ग्रीवानुं श्राजरण तेवा संस्थाने ए पर्वत सर्व रजतमय रूप्पमयडे अने स्फाटिकनी परे सुकोमल ने यावत् जोतां थकां प्रतिबिंब देखाय माटे प्रतिरूप दे. ते दहण अने उत्तर ए बे पासे बे पद्मवर वेदिकाये करी अने बे वनखंडे करी स दिसे चोकफेर वीट्यो , ते पद्मवरवेदिका अर्क योजन ऊंचपणे अने पांचशे धनुष्य पोहोल पणे . तथा पर्वत जेटली लांब पणे जे अने वनखंम कांश्क जणा बे योजन पोहोल पणे बे. तथा पद्मवरवेदिका जेटला लांबा , तेनी काला वर्णे काली कांति बे. वैताढ्यने पूर्व पश्चिम दिसे वे गुफा ते उत्तर दक्षणे पञ्चाश योजन लांबी, अने पूर्वपश्चिमे मांहेली कोरे पोहोली बार योजन ,आठ योजन ऊंच पणे , तथा आठ योजन उंचा अने चार योजन पोहोला तथा चार योजन प्रवेश एवा दहण अने उत्तरने सन्मुख वज्ररत्नमय निवम एवां वे वारणा तेना कपाटे करी ढांकी ने तथा निरंतर अंध कार अने तिमिश्र तेणेकरी सहीत, चंद्र सूर्यादिकनी ज्योति रहीत मार्ग एवी पश्चि मदिसे तिमिश्रागुफा अने पूर्व दिसे खंडप्रपाता मली बे गुफा तेना विषे कृतमाल अने नृत्यमाल एवे नामे वे देवता एक पल्योपमना आयुवाला वसे तथा ते गुफाने विषे उम गा अने निमगा एवी बे नदी ते त्रण त्रण योजन विस्तारे ते नदी पर्वत मांहेला जे महोटा पाषाण ते मांहेथी निकलीने महोटी नदी जे गंगा सिंधु प्रमुख वे ते मांहे गमन
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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