________________ 202 सोप्रकारना रत्नोना नेद, __अही शिष्य पूजे जे के, जो स्पष्ट, अस्पष्ट, ननःप्रदेश सूदम क्षेत्र पस्योपमे करीने ग्रहण करीये बैये, तो वालाग्रोनुं शुं प्रयोजन ? यथोक्त पदयांतरगत ननःप्रदेशाप हारमात्रथीज सामान्यपणे कहे उचित ? तत्र गुरु कहे , के ए सत्य जे. किंतु सूक्ष्म क्षेत्र पस्योपमे करी दृष्टिवादने विषे अव्य मवीये बैये, ने केटलाएक यथोक्त वालाग्र स्पष्ट नजःप्रदेशे करी मविये बैये, माटे दृष्टिवादोक्त अव्यमानोपयोगीपणा थकी वालाग्र प्ररूपण प्रयोजनवाझुं बे. ___एम सूदम पक्ष्योपम शास्त्रने विष उपयोगी होय अने त्रण बादर पढ्योपम कह्यां, ते सूक्ष्मनुं स्वरूप समजाववा माटेज जाणवां. श्रहींयां घणुं तो सूक्ष्म श्रद्धापक्ष्योप मनुं प्रयोजन , ते अझापल्योपमे करी वीश कोमाकोडी सागरोपमर्नु कालचक्र थाय, तेवा अनंते कालचकें एक पुजलपरावर्त्त थाय, एवा अनंत पुजलपरावर्ते अतीत असा अतिक्रम्या ते नणी एने विषे पुजलपरावर्त एवी संज्ञा करीये // इति // हवे पृथ्वीने विषे सो प्रकारनां जे रत्नो कडेवाय , तेना नेदो कहे . 1 तेमां प्रथम जुवननात्रण नेद ,ते कहे . 11 देवजुवन,श्मनुष्यजुवन,३नागजुवन. 2 बीजा स्थानना त्रण नेद बे,ते कहे . 1 मनुष्यस्थान, 2 देवस्थान,३ नारकीस्थान. 3 त्रीजा नूमिना त्रण नेद डे, ते कहे . 1 उत्तम, 2 नीच, 3 सम. 4 चोथा पुरुषना त्रण नेद , ते कहे . 1 उत्तम, 2 मध्यम, 3 अधम. 5 पांचमा पदार्थना त्रण नेद , ते कहे , 1 धातु, 5 मूल, 3 जीव. 6 हा पुरुषार्थना चार नेद , ते कहे . 1 धर्म, 5 अर्थ, 3 काम, 4 मोद. 7 सातमा राजवंशीना बत्रीश नेद बे, ते कहे . 1 सूर्य, 2 सोमवंश, 3 यादव, 4 कदंब, 5 परमार, 6 श्वाकु, 7 चहुआण, 7 मोरी, ए शिलार, 10 सिंधव, 11 विं दक, 15 चाउडा, 13 प्रतिहार, 14 ढुंजक, 15 रागेम, 16 शक, 17 करपाल, १७क रंड, रए चंचिस, 20 गोहिल, 1 मकुयाणक, 22 पौलक, 23 राजपाल, 24 धान्य पाल, 25 अनंग, 26 निकुल, 27 दधिकर, 27 कोल, श्ए तुर, 30 दधिपक, 31 हल, 32 हरिय, 33 सेल्हार, 34 डोडीया. 35 नाडिया. 36 कुलवरकुल. श्रापमा राज्यनां सात अंग , तेनां नाम कहे .1 स्वामी, अमात्य, ३जनपद, 4 नंमार, 5 उर्ग एटले गढ, 6 बल, 7 मित्रांग. ___ए नवमा राजगुणना बन्नु नेद बे, ते कहे . 1 वंश, 2 विनय, 3 विजय, 4 विवे क, 5 विद्या, 6 विचार 7 सदाचार, G विस्तार, ए परिछेद, 10 अनुग्रह, 11 सदा