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________________ 11 देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. हवे वैमानिक देवोना शरीरनुं प्रमाण,तेमना श्रायु उपर कहे जे. जेम के सौधर्म तथा ईशान देवलोके बे सागरोपम उत्कृष्टायु ने तेमनुं शरीर सात हाथ प्रमाण बे. तो सन कुमार तथा माहें सात सागरोपम उत्कृष्ट स्थिति मे. तेमांथी पूर्वोक्त बे सागरोपम काढीये,तेवारे शेष पांच सागरोपम रहे, तेमांथी पण वलीत्रण सागरोपमायु वालानुं श रीर मान कहे जे माटे बीजो पण एक आंकडो करीये, तेवारे शेष चार आंक रहे. तिहां सौधर्म तथा ईशान देवलोकना देवोनुं शरीर सात हाथर्नु , तेमांथी उ हाथ पूरा राखीये बाकी एक हाथना अगीयार जाग करीये, ते माहेला चार जाग काहाढी लश्ये. बाकी सात नाग पमता मूकीये तेवारे सनत्कुमार तथा माहेंज देवलोकना त्र ण सागरोपमायुवाला देवोनुं ब हाथ पूरा अने तेनी उपर एक हाथना श्रगीयार जाग करीये तेवारे चार नाग, एटवू देहमान थाय. एम आयुष्य- एकेको सागरोपम वधा रतां शरीरना मानमांथी एक हाथनो अगीयारियो एकेको नाग घटामतां संपूर्ण सात सागरोपम श्रायुवाला देवोर्नु पूरुं ब हाथ देहमान थाय. __तथा ब्रह्मदेवलोके अने लांतकदेवलोके चौद सागरोपमनी उत्कृष्टी स्थिति . तेमां थी त्रीजा चोथा देवलोकनाथआठ सागरवाला देवोनुं आयु कहेवू ,माटे श्राप काहा ढी नाखीये शेष न ांक रहे. हवे एक हाथना अगीयार नाग करीये, तेमांथी पांच नाग पमता मूकीयेबाकी नाग राखीये,तेवारे पांचमा, बहादेवलोकना आठ सागरो पम श्रायुवाला देवोनुं पांच हाथनीउपर एक हाथना अगीधारीया नाग एटवू देहमान जाणवू.ए रीते सर्व देवलोकोनेविषे वर्त्तारो करवो,एनो यंत्र नीचे लखेलो ते जोश लेवो. सामान्यपणे जवनपति, व्यंतर, ज्योतिषी, अने सौधर्म, ईशान, पर्यंत सात हाथ शरीर जे. उपरांत सनत्कुमारथी मांमी बारमो अच्युतदेवलोक तथा नवौवेयक अने पंचानुत्तरे ज्यां जेटला सागरोपमायु बे, त्यां आ प्रमाणे शरीनुं मान कहे. सागर. 1 2 3 4 5 6 6 ए 10 11 12 13 14 15 16 हस्त. 77 6 6 6 6 6 5 5 5 5 5 5 5 4 4 जाग. 0 0 4 3 2 1 0 6 5 4 3 2 1 0 3 11111111 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 सागर. 10 10 १ए 20 21 22 23 24 25 26 27 2 ए 30 31 32 33 हस्त. जाग. 103 2 1 0 77 6 54 3 1 1 0 1 0 बेदांक. 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 11 बेदांक. 4 4 3 3 3 3 3 5 5 5 5 5 5 5 5 1 1
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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