________________ 174 देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. ज्योतिषीदेवोना जघन्य उत्कृष्टायुनो यंत्र. चंडजत्कृष्टा. एक पत्य एकजघन्य पल्य चंजदेवी उत्कृअपत्य पच्चा जघप्यपट्य च लक्षवर्षाधिक.चतुर्थ जाग. टायु सहवर्षाधिक तुर्थ नाग. सूर्यउत्कृष्टायु.एक पट्य सह जघन्यपल्य सूर्यदेवी उत्कृअपत्य पांच जघन्यपल्य च स्र वर्षाधिक. चोथो नाग. ष्टायु. सोवर्षाधिक. तुर्थ जाग. ग्रहउत्कृष्टायु, एकपक्ष्योपमः - जघन्यपल्य ग्रहदेवी उत्कृथर्ड पट्योपम जघन्यपत्य च चोथो लाग. टायु. // तुर्थ नाग.. नक्षत्र उत्कृ अर्धपत्योपम. जघन्यपल्य नत्रदेवी उपल्यनो चोथो जघन्यपल्य च ष्टायु. चोथो नाग. त्कृष्टायु. नाग. तुर्थ नाग. ताराणामुत्कृ पख्य चतुर्थ जघन्यपल्या तारादेवी उ पख्य अष्टम ना जघन्यपत्य ज ___ष्टायु. जाग साधिक. ष्टम नाग. त्कृष्टायु. ग साधिक. नागसाधिक. सौधर्म अने ईशानदेवलोके परिग्रहिता अपरिग्रहिता देवीना चारे निकायना देवोनी आयुनो यंत्र. अग्र महिषीनुं यंत्र सौधर्मपरिण्देवी श्रा० जघन्य पल्योपम. 1 उत्कृष्ट पट्योग सौधर्मेज. अग्रमहिषीन ईशानपरिग्देवी आ जघन्य पदयोग्जाजेलं. उत्कृष्ट पट्योग एईशानें. अग्रमहिषी सौधर्मपरिण्देवी आ जघन्य पत्योपम. 1 उत्कृष्ट पट्यो०५० ज्योतिषीश अग्रमहिषी। शानपरिदेवी श्रा० जघन्य पक्ष्योज्जाजेरु.उत्कृष्ट पट्यो५५व्यंतरें३ अग्रमहिषी। सौधर्मझने श्रायुष्यमांदे केटली देवी थाय? तेहनी संख्या नागकु०१७ अग्रमहिषी६ कहे. बे करोग, पंच्चासी लाख, एकोतेर हजार, चारशेने अबली. अग्रमहिषीय छावीश कीडी उपर सत्तावनलाख चौदहजार बशेने पच्चासी चामरेंड. अग्रमहिषीय एटली देवी सौधर्म इंजना एक जन्मने विषे चवे. हवे सौधर्मदेवलोक प्रमुखने विषे प्रतरनी संख्या कहे जे. 13 सौधर्म श्रने ईशान बे देवलोक प्रतरतेर. 4 सहस्रार देवलोके चार प्रतर. 15 सनकुमार श्रने माहेंजए बेनाबार प्रतर 4 आणत अने प्राणत बेना चार प्रतर. 6 ब्रह्मदेवलोके ब प्रतर. ४ारण अने अच्युत एबेनाचार प्रतर. 5 लांतक देवलोके पांच प्रतर. ए नवग्रैवेयके मली नव प्रतर. 4 शुक्रदेवलोके चार प्रतर. | 1 अनुत्तरविमाने एक प्रतर. ' एम सर्व मली ऊर्ध्वलोकने विषे 65 प्रतर , ते कह्या.