________________ 263 चोवीश दमकें पांत्रीश द्वार. 20 एक दीर्घकालिकी संझा होय. ए अगीयारमा तथा बारमा देवलोके 1 पदेला अने बीजा देवलोकना देवो म संख्याता वर्षनो विरहकाल जाणवो. रीने पृथिवीकायनी पेरे पांच दमकमां 10 ग्रैवेयकना पहेला त्रिकनेविषे संख्या जर उपजे अने त्रीजाथी श्रापमा सुधी ता शेकडा वर्षनो विरह जाणवो. ब देवलोकना देवो गर्नज तीर्यच अने 11 बीजा मध्यम ते वचला त्रिकने विषे गर्नज मनुष्यमां श्रावी उपजे. / संख्याता हजार वर्षनो विरह जाणवो. 22 आठमा देवलोक सुधी गर्जज तिर्यंच 12 त्रीजा उपरला त्रिकने विषेसंख्याता अने गर्नज मनुष्य, ए बे दमकना जी लाख वर्षनो विरहकाल बे. वो जाय अने उपरांतना देवलोकोमा 13 विजयादि चार अनुत्तर विमाने प तो एक गर्नज मनुष्य आवी उपजे. | व्योपमनो असंख्यातातमो नाग 23 पहेला अने बीजा देवलोकने विषे पु विरह काल जाणवो.. रुष तथा स्त्री, ए बे वेद होय अने ज 14 पांचमा सर्वार्थ सिझविमाने पल्यो परांतना देवोमा एकज पुरुष वेद होय. पमनो संख्यातमो नाग विरह बे. 24 श्रदपबहुत्वमा बादर अग्निकायिया जी 27 गुणगणां घार श्री बे नेद . वोथकी वैमानिक देवो अधिक . 1 बार देवलोक अने नव ग्रैवेयकना दे 25 नवन (Hए०५३ ) बे पाथडा 62 . वोमां प्रथमना चारे गुणगणां लाने. 26 जघन्य सर्व स्थानके एक समय अने पांच अनुत्तरविमानना सर्व देवोम उत्कृष्ठो पस्योपमनो संख्यातमो नाग एकज चोथु गुणगणुं लाने. विरहकाल जाणवो. तिहां जुदे जुदे 27 वैमानिक देवोमां दशे प्राण होब. स्थानके उत्कृष्टो विरह या प्रमाणे. शए संयतिना थाम्बोल त्रीजा प्रकारे लाने. 1 पहेला बीजा देवलोके चोवीश मुहर्त. 30 एकज अचित्त थाहार लीये. २त्रीजा देवलोकें नव दिवसवीशमुहर्त. 31 ज अने लोमे करी आहार लीये. 3 चोथा देवलोके बार दिवस दशमुहर्त्तः 32 श्राहारनी श्छा था प्रमाणे उपजे. 4 पाचमां देवलोकेसाडी बावीश दिवस. 1 एक पट्योपमायुवाला देवोने बे दिव 5 बहा देवलोके पीस्तालीश दिवस. | सथी मांडीने नव दिवस पर्यंते श्रा 6 सातमा देवलोके एंशी दिवस. हारनी श्बा उपजे. 7 आठमा देवलोके एकशो दिवस. / जेनुं एकसागरोपमायु होय, तेने एक 7 नवमा तथा दशमा देवलोके संख्या हजारवर्षे श्राहारनी श्छा उपजे. ता महीनानो विरहकाल जाणवो. 3 एक सागरोपम उपरांत जेटला सा