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________________ चोवीश दमकें पांत्रीश द्वार. 245 75 तेथकी पमिवार प्रतिपत्ति सम्यग्दृष्टि जीव अनंतगुणा बे. 76 तेथकी सिद्धना जीव अनंतगुणा बे. मध्यमयुक्त पांचमा अनंता जेटला , माटे. 77 तेथकी बादर वनस्पतिका यिया पर्याप्ता जीव अनंतगुणा जे. जेमाटे एक निगोदने __ अनंतमे जागे सिक, एवाअसंख्याता निगोद पर्याप्ता बादर वनस्पतिमांहे ,माटे, उ तेथकी बादर पर्याप्ता जीव विशेषाधिक जे. बादर पर्याप्ता पृथिव्यादिक प्रदेपवा थकी. पुए तेथकी बादर वनस्पतिका यिया अपर्याप्ता असंख्यातगुणा बे, जेमाटे एकेक बादर निगोद पर्याप्तानी निश्राये असंख्याता अपर्याप्ता निश्छे होय, ते माटे. 7 तेथकी बादर अपर्याप्ता विशेषाधिक बे, बादर अपर्याप्ता पृथिव्यादिक प्रदेपवाथकी. 71 तेथकी सर्वपर्याप्ता बादर जीव विशेषाधिक वे. 2 तेथकी सूदमवनस्पतिकायिया अपर्याप्ता असंख्यात गुणा बे, केम के बादर जीवो ___ थी सूक्ष्म घणा ने अने वली सर्व लोकव्यापी जे माटे. 3 तेथकी सूदम अपर्याप्ता विशेषाधिक जे. केम के सूक्ष्म अपर्याता पृथिव्यादिकने तेमां प्रदेपवाथकी विशेषाधिक थाय. 4 तेथकी सूदमपर्याप्ता वनस्पतिकायिया जीव संख्यातगुणा , केम के सूदमपर्याप्ता ___ मांहे सूक्ष्म अपर्याप्ता खनावे सदैव संख्यात गुणा प्राप्त होय, माटे. 5 तेथकीसर्व सूदमपर्याप्ताजीवविशेषाधिकडे.सूक्ष्मपर्याप्ता पृथिव्यादिकसाथे नेलवाथी. 6 तेथकी सर्व पर्याप्ता अपर्याप्ता सूक्ष्मजीव विशेषाधिक बे. छ तेथकी जव्यसिद्धिक नव्यजीव विशेषाधिक जे जेमाटे जघन्ययुक्त अनंता प्रमाण अजव्य जीवो ने तेने टालीने बीजा सर्व नव्यजीवो ने ते माटे, तेथकी निगोदना जीव विशेषाधिक , जे जणी निगोदना जीव टाली बीजां सर्व जीव असंख्यात लोकाकाश प्रदेश प्रमाणज , माटे. पए तेथकी वनस्पतिना जीव विशेषाधिक डे, निगोदमां प्रत्येक वनस्पति प्रदेपवाथकी. ए० तेथकी एकेंजियजीव विशेषाधिक .वनस्पतिमां वली पृथिव्यादिकना प्रक्षेपवाथकी. ए१ तेथकी तिर्यंचयोनिया विशेषाधिक डे, बेंछियादिकना नेलवाथकी. ए तेथकी मिथ्यादृष्टि विशेषाधिक बे, ए जीव चारे गतिमां लाने, माटे. ए३ तेथकी अविरति जीव विशेषाधिक बे, अविरति सम्यग्दृष्टि जीव एमां जलवाथकी. एव तेथकी सकषायिजीव विशेषाधिक डे, देशविरत्यादिना जलवाथकी. (एए तेथकी बद्मस्थ जीव विशेषाधिक बे, उपशांत मोही पण एमांजल्याते थकी. ए६ तेथकी सयोगी विशेषाधिक , सयोगी केवलीना जलवा थकी.
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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