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________________ 140 चोवीश दंडकें पांत्रीश द्वार. 5 सत्यवचनयोग.६ असत्यवचनयोग. 7 सत्यामृषावचनयोग.ज्यसत्यामृषावचनयोग. ए औदारिक काययोग. 10 औदारिकमिश्र काययोग. 11 वैक्रियकाययोग. 12 वैक्रियमिश्र काययोग 13 आहारक काययोग. 14 थाहारकमिश्र काययोग. 15 कार्मण काययोग. एवं पन्नर योग जाणवा. चौदमुं उपयोगधार. ते पांच ज्ञान, तथा त्रण अज्ञान अने चार दर्शन मली,बार प्रकारे . 1 मतिज्ञान. 2 श्रुतज्ञान. 3 अवधिज्ञान. 4 मनःपर्यवज्ञान. 5 केवलज्ञान 6 मतिअज्ञान. श्रुतअज्ञान. विनंगशान. ए चकुर्दर्शन. 10 अचकुर्दर्शन, 11 अवधिदर्शन. 15 केवलदर्शन. 15 पन्नरमुं उपपात घार ते प्रत्येक दंगकने विषे एक समयमा केटला जीव श्रावी उपजे? तेनी जघन्य तथा उत्कष्टथी संख्या कहेवानुं हार. 16 सोलमुं च्यवनहार ते प्रत्येक दंगकने विषे एक समयमां केटला जीव च्यवे, तेनी जघन्य तथा उत्कृष्टथी संख्या कहेवानुं छार. 17 सत्तरमुं आयुष्य ते चार गतिश्राश्री चार प्रकारे ले. तेमां कया कया दमके केटबुं आयुष्य ? तेनुं प्रमाण कहेवार्नु छार. 10 अढारमुं पर्याप्तिनुं धार ब प्रकारे . 1 आहारपर्याप्ति. शरीरपर्याप्ति. ३.जियपर्याप्ति. .. 4 श्वासोढ़ासपर्याप्ति. 5 नाषापर्याप्ति. 6 मनःपर्याप्ति. १ए जंगणीशमुं दिग्ाहार छार उ प्रकारे . 1 श्रधोदिशि श्राहार. 2 ऊर्ध्व दिशि आहार. 3 पूर्वदिशि थाहार. 4 पश्चिम दिशि थाहार. 5 दक्षिण दिशि श्राहार, 6 उत्तरदिशि थाहार. 20 वीशमुं संज्ञा घार त्रण प्रकारे बे. 1 दीर्घकालिकी संज्ञा. 2 हितोपदेशिकी संज्ञा. 3 दृष्टिवादोपदे शिकी संज्ञा. एकवीशमुंगतिहार ते कयामकनो जीव मरीने कया कया दंडकमां जाय?ते कहेवानुंहार. बावीशमुं श्रागति ते कया दंगकने विषे कया दमकना जीव,श्रावी उपजे? ते कहेवानुं द्वार. 23 त्रेवीशमुं वेद हार. 1 पुरुषवेद. 2 स्त्रीवेद. 3 नपुंसकवेद. ए त्रण प्रकारे बे. 24 चोवीशमुं अल्पाबहुत्वनुं द्वार. शहाणुं प्रकारे जे. ते प्रकार कहे . 1 सर्वथकी थोमा गर्नज मनुष्यसंख्याती कोडाकोडी प्रमाण बे, तेमाटे अल्प ले. 2 तेथकी मनुष्यनी स्त्री संख्यातगुणी अधिक बे, एटले सत्त्यावीश गुणी . ए बे बोल मली अढीछीपमाहेला एकशो ने एक क्षेत्रना मनुष्यनी संख्या कहे .
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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