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________________ अढीहीपना नकशानी हकीगत. जंबूवृदनां उ वलय तेनी संख्या एक कोड, वीत लाख, पचाश हजार, एकशोने वीश तेणेकरी जंबूवृद वीट्युडे ते उपर श्रणाढीयो देव वसेजे. एम उत्तरकुरुमा सामली वृक्ष तेनी पण एज रीते मर्यादा तेना उपर गरुल देवतानो निवाश तथा धातकी खंगमां बे देवकुरुले तेमां बे महोटा साल्मली वृक्ष तेनी पाउल बार वलय लघु साटम ली वृक्षनां तेनी संख्या 24100240 एटला साइमली वृद वींट्याने तेना उपर पण गरुन देव रहे. तथा धातकी खंडना बे उतरकुरुमां बे महोटा महा धावमीना वृद ने ते प्रत्येक लघु धावडी वृदनां बार वलये करी वीट्याने तेनी संख्या 24100240 ने तेना उपर सुदर्शन अने प्रीयदर्शन देवनो निवास तथा पुष्कराईनां महाविदे हनांबे देवकुरुमां बेमहोटा साइमली वृदा ते लघु साल्मलीवृदनां चोवीश वलये करी वींट्याले तेनी संख्या 4200HG नी बे ते महोटा वृक्ष उपर गुरुम देवतानो निवास ने तथा पुष्कराईनां उत्तर कुरुमां एक महोटो पद्मवृदडे तेपण चोवीश वलये वीट्यो तेनां उपर पद्मदेवनो निवास, तथा पुष्कराईना पश्चिम महाविदेहनां उत्तरकुरुमां मु ख्य महापद्म वृक्ष पण चोवीश वलये वीट्यो तेनी संख्या पूर्वपरे जाणवी. तेनाउपर पुंग रिक देवनो निवासबे. ए मुख्यवृक्ष सर्वे वेदिका अने वनखंमे सहीत तेनो पीठ पां चशे योजन पोहोलो अने बार योजन ऊंचो ते वृदो उपर देव निवासनां स्थान त था श्री जिन जुवनडे ए सर्व वृद रत्नमय पृथवीकायनां ने शाश्वताबे. 5 पञ्चीशमे बोले जंब्रहीपमां एकेकी विजय वकारा पर्वत लगे पोहोली 2213 // योजन अने नीलवंत पर्वतथी सीतानदी लगे तथा निषध पर्वतथी सीतोदा नदी पर्य त १५६ए योजन अने उपर बे कला एटली लांबी तथा धातकी खंममा एकेकी विजय ए६०३ योजन उपर एक योजननां शोल नाग करीये तेवा उ नाग एटली पोहोली अने शोले विजय 153654 योजन पोहोत्री तथा पुष्कराईनी एकेकी विजय रएए। योजन पोहोली अने शोले विजय 31670 योजन पोहोली बे. 26 बबीशमे बोले जंबूतीपमां महाविदेहनी बार अंतरनदी एकशो पच्चीश योजन पोहोत्री तथा धातकी खंडमां अंतरनदी अढीसो योजन पोहोली डे अने पुष्करा ईमां अंतरनदी पावशे योजन पोहोली जे. 27 सत्तावीशमे बोले जंबूजीपमा वनस्कारा पर्वत 500 योजन ऊंचा अने पोहोला ने तथा धातकी खंडमां वनस्कारा हजार योजन ऊंचा अने पोहोला तथा पुष्करा ईमां वक्षस्कारा बे हजार योजन ऊंचा अने बे हजार योजन पोहोबाडे. 27 असावीशमे बोले जंबूछीपमां दरवाजा अागल पूर्व पश्चिमनुं एके कुं वनमुख ज
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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