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________________ अढीहीपना नकशानी हकीगत. 133 एटला श्रांक अध्यावीशमा जागमा आवे, उपर श्राफ्नो श्रांक वधे. एटली संख्याये पुरुष जाणवा. एटले २२ए एटली कोमाकोमी कोमी, अने 2356522 एटली को डाकोडी तथा ए७७११ए एटली कोमी तेनी उपर एएश्२६ एटला पुरुष जाणवा. हवे पुरुषथी सत्तावीश गुणी स्त्री , माटे ए श्रांकने सत्तावीश गुणो करीये, तेवारे ७६३एज्५५, 2016120, 372234, एए५२१०२ ए गणत्रीश ओक आवे, तेटली संख्याये स्त्री जाणवी. एटले सात कोड कोडाकोमी कोमी, त्रेशठ लाख कोमाकोडी कोमी, हाणुं हजार कोडाकोमी कोमी, पांचशे कोडाकोमी कोडी, पंचाशी कोमाको डी कोडी, तथा अध्यावीश लाख कोडाकोडी, शोल हजार कोडाकोडी, एकशो कोडाको डी, वीश कोडाकोडी, तथा जंगणचालीश लाख कोडी, बासी हजार कोडी, बशे कोडी, चोत्रीश कोडी, उपर उंगणसाठ लाख, बावन हजार, एकशो ने बे. एटले आंके स्त्री जाणवी. अर्थात् (76377575) एटली कोडाकोडी कोडी, तथा (2016120) एट ली कोडाकोडी, तथा (३ए७२२३४) एटली कोडी तेनी उपर (एए५२१०२) एटले यां के स्त्री . ए स्त्रीना आंकनी साथे पूर्वोक्त पुरुषना श्रांकनी संख्यानो अांक तथा जेथ घ्यावीशे जाग आपतां उपर था वध्या बे, ते सर्व एका मेलवीये, तेवारे पूर्वोक्त गणत्रीश श्रांक पूर्ण थाय. एटला बांके गर्भज मनुष्य . ए प्रकारे गर्भज मनुष्य पूर्वोक्त आंक जेटला होय परंतु ांक न्हाना महोटा न होय, तेमां पुरुषथी स्त्री सत्तावीश गुणी अधिक होय. अल्पबहुत्वमा पुरुषथकी स्त्री संख्यातगुणी अधिक कही बे. इहां पूर्वोक्त आंकने अध्यावीशे नाग श्रापतां उपर आपनो श्रांक वधे बे, पण सत्यावी श वधता नथी ते वात गीतार्थगम्य जाणवी. तेनो निर्णय गीतार्थ करी आपे. वली अल्पबहुत्वना अहाणुं हार जोतां सर्वथी थोडा गर्जज मनुष्य कह्यां , ते संख्याती कोडाकोमी प्रमाण पूर्वोक्त गणत्रीश बांके संख्या जाणवी. ___ यहां केटलाएक एम कहे जे के उगणत्रीश के गनज मनुष्य , ते आंक खरे खरा ले परंतु तेमां कालविशेषे न्हाना महोटा श्रांक लेवा जोश्ये. जेम बे एकडाये अगीयारनो आंक थाय अने बे नवडाये नवाणुं श्रांक पण थाय. तेम श्रीअजितनाथ जीना वखतमां मनुष्यनी संख्या घणी होय तेवारे महोटा आंक लेवा अने बहा था राने विषे माणस खल्प होय तेवारे न्हाना आंक लेवा, एवी रीते केटलाक श्रीजिन शासनना रहस्यना अननिझपणाथी कहे . ते असत्य कहे जे. जेमाटे पंचांगीने वि पे एटलाज श्रांक कह्या ते न्हाना महोटा केम थाय ? जे कारणे श्रीअनुयोगहार सूत्रमध्ये कडंडे केः- जेवारे जघन्यथी मनुष्य होय, ते
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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