________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत. ( एए४ ) योजन अने एक योजननां अगीबार नाग करीये तेवा ब नाग उपर एट लुं पोहोल पणे बे तथा सोमनसवन श्रागस (4272) योजन उपर श्रगीथारीश्रा श्रा नाग एटलो मेरुनो विष्कंन बे. तथा पंडकवन पासें 1000 योजन मेरुनो विष्कंन बे. हवे धातकी खंडनां बे मेरु तथा पुष्कराईनां बेमली चार मेरु प्रत्येके एक हजार योजन धरतीमां अने चोरासी हजार योजन उपर डे, ते मली पंच्यासी हजार योजन जंचपणे वे ए चारे मेरु उपर चूलिका नथी एम अढीछीपमा 35 वर्षधर पर्वत बे. श्राठमे बोले अढीछीप माहेला शाश्वता पर्वतनी संख्या कहे. तिहां प्रथम जंबू छीपनां पर्वतो कहे. सात वर्षधर पर्वत पूर्वे कह्या ते जाणवा अने चोत्रीश वैताढ्य पर्वत बे. ते आवी रीते. एक नरतक्षेत्रनां मध्यनो, बीजो ऐरवत क्षेत्रना मध्यनो, तथा बत्रीश विजय महाविदेहना तेमां बत्रीश वैताढ्य ले. एवं चोत्रीश वैताढ्य थया, तथा चार युगलीयानां खेत्रनी वचमां चार गोल वृत्त वैताढ्य . तथा कुरु क्षेत्रना यमक, सम क, चित्र अने विचित्र ए चार तथा नीलवंतनां बे गजदंता अने निषधनां बे गजदंता मली चार गजदंत पर्वत तथा निषधने हेग्ल पांचकुंमनी वे पासे 100 कंचनगिरि श्रने नीलवंत देवल पांच कुंडनी बे पासे 100 कंचनगिरि , मलीने बसो कंचन गिरि . तथा महाविदेहमा पूर्वपश्चिमनां मली शोल वरकारा पर्वत जे. ए सर्वमली श्६ए पर्वत जंबू छीपमां थया. एथकी बमणा 537 धातकी खंडमां बे. तेनी साथे बे इकुकार नेलीये तेवारे 540 थाय. तथा धातकी खंम प्रमाणे पुष्करानां पण 540 पर्वत जाणवा. तथा लवणसमुरुमां चारदिसिनां वेलंधर अनुवेलंधर देवोनां आठ पर्वत मांहे नेलीये ते वारे सरवाले 1357 शाश्वता पर्वत श्रढीछीपमां बे. ए नवमे बोले अढीहीपनां शाश्वता कूट कहेजेः-तिहां प्रथम जंबहीपमां श्६ए, पर्वत बे, ते उपर जे कूट ले ते कहेले. तेमा 34 वैताढ्य उपर प्रत्येके नव नव कूट ग णतां 306 थया. तथा हिमवंते श्रगीश्रार, महाहेमवंते थाउ,निषधे नव, शिखरीये श्रगी भार, रूपी पर्वते आठ कूट, नीलवंते नव कूट, तथा बे गजदंते नव नव, अने बे ग जदंते सात सात मली चार गजदंताना बत्रीश कूट, तथा शोल वदस्कार पर्वते प्रत्ये के चार चार कूट गणतां 64 थाय तथा मेरु पर्वतनां नवकूट ए रीते सरवाले एकशन पर्वतना 467 कूट थया श्रने यमकादि चार तथा वृत्तवैताढ्य चार एवं श्राप पर्वत उपर कूट नथी तथा धातकी खंडमां एथकी बमणा ए३४ श्रने पुष्कराऊमां पण ए३४, मली 2335, कूट श्रढीछीपमां बे. 10 दशमे बोले चक्रवर्ति जिहां पोतानुं नाम लखे तेने षनकूट कहीये. ते जंबू जीपमा बत्रीश विजयनां नीलवंत पर्वत पासे शोल कूट , तथा निषध पर्वत पासे