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________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत. // अथ द्वितीयगणितपदप्रारंजः // हवे हरेक वाटला क्षेत्रना योजन योजन प्रमाण समचतुरस्र खंम करवा, तेने ग णित पद कहीये. ते करवानी रीति कहे . वाटला क्षेत्रनी परिधिनी संख्यानो जेटलो अंक होय, तेने तेज वाटला क्षेत्रनो जे विष्कंन होय तेना चोथा नागना अांक सा थे गुणीये तेवारे तेनुं गणित पद थाय ते एक जंबूझीप आश्रयी देखाडे . जंबुझीपनो परिधि (316227) योजन , तेने एज जंब्रहीपनो विष्कंन एक ला ख योजननो , तेना चोथा नागना पच्चीश हजार योजन थाय. तेनी साथे गुणीये ते वारे 5675000 योजन थाय, अने ते परिधिनी उपर त्रण कोश . तेने पच्चीश हजार साथे गुणतां 75000 कोश थाय. ते चार कोशनो एक योजन करतां 17750 योजन थाय, तथा परिधि एकशो ने अहावीश धनुष्य ने तेने पञ्चीश हजारे गुणतांब त्रीश लाख धनुष्य थाय, ते आठ हजार धनुष्यनो एक योजन गणतां 400 योजन थाय. ए सर्व एका करीये, तेवारे ए०५६ए४१५० योजननी संख्या थाय. हवे परि धि उपर सामातेर अंगुल , तेने पच्चीश हजारे गुणतां 337500 अंगुल थाय. ते एक धनुष्यमां उन्नु अंगुल आवे, माटे एने उन्नु नागे वेचता 3515 धनुष्य थाय.उपर शाठ अंगुल वधे तेना एक कोशमां बे हजार धनुष्य प्रमाणे पोणाबे कोश अने पांत्रीश सो धनुष्य थाय. तथा उपर पन्नर धनुष्य ने ते एकेका धनुष्यना चार चार हाथ करतां शाउ हाथ थाय, तथा उपर शाठ अंगुल वध्या , तेना अढी हाथ थाय, ए सर्व मली पुए०५६ए४१५० योजन उपर पोणा बे कोश अने शाढा बाश हाथ एटर्बुजंबूझीपनुं ग णित पद थाय, ए एकेक योजनना खंडुक करीने जंबूछीपनी जेटली नूमि बे. तेमां थापीये. तो एटला रही शके. एवी रीते बीजा पण वाटला खेत्रना सर्व स्थानके गणित पदना हिसाब करवा, एनो यंत्र नीचे देखाड्यो . ए गणित पदनी यंत्रस्थापना, ल. चढतो परिधिनां विष्कननो गुणाकारकर एक योजनमांसरवाले योजगाजधण् अंगु अंक. योजनादि. चोथोनाग तां राशि थर.अंगुलादि. ननी संख्या. 1 3162 2 5000 7905675000 पूरा योजन. 7905675000 2 कोश-३ 25000 5000 चारगाउयोग 1750 3 धनुष्य.१२७ 25000 30000 आठहजारध. 400 4 अंगुल. 13 // 25000 337500 बन्नुअंगुलनु. 0 1 // 1560 5 एकंदरसंख्या. 17905694150 2 // 15 60
SR No.004399
Book TitleAdhidwipna Nakshani Hakikat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1909
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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