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________________ भगवई स. 20 उ. 5 य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किल्लए य 1, सिय कालए य णोलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किल्लगा य 2, एवं परिवाडीए एक्कतीसं भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य णीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किल्लए य 31, एए एकत्तीसं भंगा एवं एक्कगदुयगतियगचउक्कगपंचगसंजोएहि दो छत्तीसा भंगसया भवंति, गंधा जहा अट्टपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वग्णा, फासा जहा चउपएसियस्स / दसपएसिए णं भंते ! खंधे० पुच्छा, गोयमा ! सिय एगवण्णे जहा णवपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते, जइ एगवण्णे एगवण्णदुवण्ण तिवण्णचउवण्गा जहेव णवपएसियस्स, पंच. वण्णेवि तहेव गवरं बत्तीसइमो भंगो भण्णइ, एवमेए एक्गदुयगतियग. चउक्कगपंचगसंजोएसू दोणि सत्ततीसा भंगसया भवंति, गंधा जहा णवपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वण्णा, फासा जहा चउप्पएसियस्स / जहा दसपएसिओ एवं संखेज्जपएसिओवि, एवं असंखेज्जपएसिओवि, सुहम. परिणओवि अणंतपएसिओवि एवं चेव // 667 // बायरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कइवण्णे / एवं जहा अट्ठारसमसए जाव सिय अट्ठफासे प०, वणगंधरसा जहा दसंपएसियस्स, जइ चउफासे सन्चे कक्खडे सव्वे गरुए सम्वे सीए सव्वे णिद्धे 1, सब्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लक्खे 2, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे णिद्ध 3, सव्वे कक्ख डे सव्वे गरुए सम्वे उसिणे सव्वे लुक्खं 4, सब्वे कक्खडे सब्वे लहुए सवे सीए सव्वे गिद्धे 5, सम्वे कक्खडे सव्वे लहुए सब्वे सीए सव्वे लुक्खे 6, सब्वे कक्खडे सव्वे लहुए सम्बे उसिणे सवे गिद्धे 7, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे 8, सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे गिद्धे 6, सम्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे 10, सव्वे - मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे गिद्धे 11, सव्वे मउए सव्वे गरुए सब्वे उसिणे सम्वे लुक्खे 12, सव्वे मउए सव्वे लहए सन्वे सीए सव्वे णिद्ध 13, सव्वे मउए सव्वे लहए सव्वे सीए सन्वे लुक्खे 14, सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे णिद्धे 15, सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सवे लुक्खे 16, एए सोलस भंगा। जइ पंचफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे गिद्धे देसे लुक्खे 1, सव्वे कक्खडे सम्वे गरुए सव्वे सीए. देसे णिद्ध देसा लुक्खा 2, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा णिद्धा देसे लुक्खे 3, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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