________________ 830 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि तए णं से दढप्पइण्णे केवली अप्पणो तीतद्धं आभोएहिइ अप्प० 2 ता समणे णिग्गंथे सद्दावेहिइ सम० 2 ता एवं वदिहिइ-एवं खलु अहं अज्जो ! इओ चिराईयाए अद्वाए गोसाले णामं मंखलिपुत्ते होत्था समणघायए जाव छ उमस्थे चेव कालगए, तम्मलगं च णं अहं अज्जो ! अणाईयं अणवदग्गं दोहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टिए / तं मा णं अज्जो ! तुभं केइ भवउ आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए आयरिय उवज्झायाणं अयसकारए अवण्णकारए अकित्तिकारए, मा णं सेऽवि एवं चेव अणाईयं अणवदगां जाब ससार. कंतारं अणुपरियट्टिहिइ जहा णं अहं / तए गं ते समणा णिग्गंथा दढप्पइण्णस्स केवलिस्स अंतियं एयमट्ट सोच्चा णिसम्म भीया तत्था तसिया संसारभयउविग्गा दढप्पइण्णं केवलि दिहिति णमंसिहिति वं० 2 ता तस्स ठाणस्स आलोइएहिति णिदिहिति जाव पडिवििहति / तए णं से दढप्पइण्णे केवली बहूई वासाइं केवल परियागं पाउणिहिइ बहूइं० 2 त्ता अप्पणो आउसेसं जाणि. त्ता भत्तं पच्चक्खाहिइ, एवं जहा उववाइए जाव सम्वदुक्खाणमंतं काहिइ / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ // 556 // पण्णरसमं सयं समत्तं // सोलसम सयं पढमो उद्देसो / / अहिगरणि जरा कम्मे जावइयं गंगदत्त सुमिणे य / उवओग लोग बलि ओहि दीव उदही दिसा थणिया॥१॥ चउद्दस० सोलससे / तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! अहिगणिसि वाउयाए वक्कमइ ? हंता अस्थि / से भंते ! किं पुठे उद्दाइ ? अपुठे उद्दाइ ? गोयमा! पुढे उद्दाइ णो अपुढे उद्दाइ / से भंते ! कि ससरीरी णिक्खमइ अस. रीरी णिक्खमइ ? एवं जहा खंदए जाव से तेणठेणं जाव णो असरीरी णिक्ख. मइ // 560 // इंगालकारियाए णं भंते ! अगणिकाए केवइयं कालं संचिइ ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहतं उक्कोसेणं तिण्णि राईदियाइं, अण्णेवि तत्य वाउयाए वक्कमइ, ण विणा वाउयाएणं अगणिकाए उज्जलइ // 561 // पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोलैंसि अयोमरणं संडासएणं उविहमाणे वा पबिहमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोठेंसि अयोमएणं संडासएणं उविहिइ वा पविहिइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव