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________________ 728 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि रण्णो पोत्ते सयाणीयस्स रण्णो पुत्ते चेडगस्स रण्णो णत्तुए मियावईए देवीए अत्तए जयंतीए समणोवासियाए भत्तिज्जए उदायणे णामं राया होत्था वएणओ, तत्थ णं कोसंबीए णयरीए सहस्साणीयस्स रण्णो सुण्हा सयाणीयस्स रणो भज्जा चेडगस्स रणो धूया उदायणस्स रण्णो माया जयंतीए समणोवासियाए भाउज्जा मियावई णाम देवी होत्था वण्णओ सुकुमाल जाव सुरूवा समणो. वासिया जाव विहरइ / तत्थ णं कोसंबीए णयरीए सहस्साणीयस्स रण्णो धूया सयाणीयस्स रण्णो भगिणी उदायणस्स रण्णो पिउच्छा मियावईए देवीए णणंदा वेयालीसावयाणं अरहताणं पुवसिज्जायरी जयंती णामं समणोवासिया होत्या सुकुमाल जाव सुरूवा अभिगय जाव विहरइ // 440 // तेणं कालेणं तेणं सम. एणं सामी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ / तए णं से उदायणे राया इमीसे कहाए लद्धठे समाणे हद्वतुठे कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ 2 त्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कोसंबि णरि सब्भितरबाहिरियं० एवं जहा कूणिओ तहेव सव्वं जाव पज्जुवासइ। तए णं सा जयंती समणोवासिया इमोसे कहाए लद्धट्ठा समाणी हट्ठतुट्ठा जेणेव मियावई देवी तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता मियावई देवि एवं वयासी-एवं जहा णवमसए उसभदत्तो जाव भविस्सइ / तए णं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेइ / तए णं सा मियावई देवी कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ 2 ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! लहुकरणजुसजोइय जाव धम्मियं जाणप्प. वरं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव उवट्ठवेंति जाव पच्चप्पिणंति / तए णं सा मिया. वई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि व्हाया कयबलिकम्मा जाव सरीरा बहूहिं खुज्जाहि जाव अंतेउराओ णिग्गच्छइ 2 ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ 2 ता जाव दुरूढा / तए गं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा समाणी णियगपरियाल. जहा उसमदत्तो जाव धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरहइ / तए णं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि बहूहि खुज्जाहिं जहा देवाणंदा जाव वंदइ णमंसइ उदायणं रायं पुरओ कटटु ठिइया चेव जाव पज्जुवासइ / तए णं समणे भगवं महावीरे उदायणस्स रण्णो मिया. वईए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महइ० जाव धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया उदायणे पडिगए मियावई देवीवि पडिगया // 441 //
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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