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________________ भगवई स. 10 उ. 2 685 गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वीईपंथे ठिच्चा जाव तस्स गंणो इरिया. वहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कज्जइ / से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चइ संवुडस्स० जाव संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा एवं जहा सत्तमसए पढमोदेसए जाव से गं उस्सुत्तमेव रीयइ, से तेणेठेणं जाव संपराइया किरिया कज्जइ / संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्त अवीईपंथे ठिच्चा पुरओ रूवाइं णिज्झायमाणस्स जाव तस्स गं भंते ! कि इरियावहिया किरिया फज्जइ ? पुच्छा, गोयमा ! संवुड० जाव तस्स गं इरियावहिया किरिया कज्जइ णो संपराइया किरिया कज्जइ / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहा सत्तमे सए पढमोद्देसए जाव से गं अहासुत्तमेव रीयइ से तेणठेणं जाव णो संपराइया किरिया कज्जइ // 365 // कइविहा गं भंते ! जोणी प०. ? गोयमा ! तिविहा जोणी प०, तंजहा-सीया उसिणा सीओसिणा, एवं जोणीपयं णिरवसेसं भाणियव्वं // 366 // कइविहा गं भंते ! वेयणा प०? गोयमा ! तिविहा वेयणा प०, तंजहा-सीया उसिणा सीओसिणा, एवं वेयणापयं गिरवसेसं भाणियध्वं जाव णेरइया गं भंते ! किं दुक्खं वेयणं वेयंति सुहं वेषणं वेयंति अदुक्खमसुहं वेयणं वेयंति ? गोयमा ! दुक्खंपि वेयणं वेयंति सुहंपि वेयणं वेयंति अदुक्लमसुहंपि वेयणं वेयंति // 367 // मासियण्णं भंते ! भिक्खुपडिमं पडिवण्णस्स अणगारस्स पिच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे, एवं मासिया मिक्खुपडिमा णिरवसेसा भाणियव्वा नहा दसाहिं जाव आराहिया भवइ // 368 // भिक्खू य अग्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता से गं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते कालं करेइ गरिथ तस्स आराहणा, से गं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स आराहणा। भिक्ख य अण्णयरं अकिउचट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं मवइ पच्छावि गं अहं चरिमकालसमयंसि एयस्स ठाणस्स आलोएस्सामि जाव पडिवज्जिस्सामि, से गं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते जाव णस्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइय. पडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स माराहणा / भिक्खू य अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स गं एवं भवइ-जइ ताव समणोवासगावि कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति किमंग! पुण अहं अणपण्णियदेवत्तणंपि णो लभिस्सामित्ति कट्ट से णं तस्स ठाणस्स अणालोइय.
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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