________________ 424 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि वयइ, से एएणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-संवुडे अणगारे सिज्झइ जाव अंतं करेइ // 18 // जीवे णं भंते ! अस्संजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इओ चए पेच्चा देवे सिया ? गोयमा ! अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए णो देवे सिया / से केणठेणं जाव इओ चुए पेच्चा अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए णो देवे सिया ? गोयमा ! जे इमे जीवा गामागरणगरणिगमरायहाणिखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसण्णिवेसेसु अकामतण्हाए अकामछुहाए अकामबंभचेरवासेणं अकामसीतातवदंसमसगअण्हाणगसेयजल्लमलपंकपरिदाहेणं अप्पतरं वा भुज्जतरं वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति अप्पाणं परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु वाणमंतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति / केरिसाणं भंते ! तेसि वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पण्णता ? गोयमा ! से जहाणामए-इहं मणुस्सलोगंमि असोगवणे इ वा सत्तवण्णवणे इ वा चंपयवणे इ वा चूयवणे इ वा तिलगवणे इ वा लाउयवणे इ वा णिग्गोहवणे इ वा छतोहवणे इ वा असणवणे इ वा सणवणे इ वा अयसिवणे इ वा कुसुंभवणे इ वा सिद्धत्थवणे इ वा बंधुजीवगवणे इ वा, णिच्चं कुसुमियमाइय-लवइयथवइयगुलइय-गुच्छियजमलिय-जुलियविणमियपणमियसुविभत्तपिंडिमंजरिवडेंसगधरे सिरीए अईव-अईव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ, एवामेव तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा जहण्णेणं दसवासहस्ससट्टिईएहि उक्कोसेणं पलिओवमट्टिईएहि बाहि वाणमंतरेहि देवेहि तद्देवीहि य आइण्णा वितिकिण्णा उवत्थडा संथडा फुडा अवगाढगाढसिरीए अईव-अईव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिळंति, एरिसगाणं गोयमा ! तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा प०, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवे णं असंजए जाव देवे सिया / सेवं भंते ! सेवं भते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वंदइत्ता णमंसइत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ // 16 // पढमे सए पढमो उद्देसो समत्तो / रायगिहे णगरे समोसरणं, परिसा णिग्गया जाव एवं वयासी-जीवे गं मंते ! सयंकडं दुक्खं वेएइ ? गोयमा! अत्थेगइयं वेएइ अत्थेगइयं णो वेएइ। से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइयं वेएइ अत्थेगइयं णो वेएइ ? गोयमा! उदिण्णं वेएइ अणुदिण्णं णो वेएइ, से तेणठे एवं वुच्चइ-अत्थेगइयं वेएइ