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________________ पण्हावागरणं सू. 2 अ. 1 1387 णेच्छह ओसहं महा पाउं / जिणवयणं गणमहुरं विरेयणं सव्वदुक्खाणं // 4 // पंचेव य उज्निऊणं पंचेव य रक्खिऊण भावेण / कम्मरयविप्पमक्का सिद्धिवरमणसरं जंति // 5 // 20 // पंचमं अज्झयणं समत्तं / / बीयो सुयक्खंधो पढमं अज्झयणं जंबू ! एत्तो संवरदाराई पंच वोच्छामि आणुपुबीए / जह भणियाणि भगवया सव्वदुहविमोक्खणढाए // 1 // पढम होइ अहिंसा बिइयं सच्चवयणंति पण्णतं / दत्तमणण्णाय संवरो य बंभचेरमपरिग्गहत्तं च // 2 // तत्थ पढमं अहिंसा तसथावरसम्वभूयखेमकरी / तीसे समावणाओ किंचि वोच्छं गणद्देमं // 3 // ताणि उ इमाणि सुव्वय ! महन्वयाई लोयहियसध्वयाई सुयसागर. देसियाई तवसंजममहव्वयाई सीलगणवरव्वयाइं सच्चज्जवम्वयाई गरय. तिरियमणुयदेवगइविवज्जगाई सम्वजिणसासणगाई कम्मरयविदारगाई भव. सयविणासणगाई दुहसयविमोयणगाई सुहसयपवत्तणगाई कापुरिसदुरुत्तराई सप्पुरिसणिसेवियाई णिव्वाणगमणमग्ग-सग्गप्पयाणयगाई संवरदाराई पंच कहियाणि उ भगवया। तत्थ पढमं अहिंसा जा सा सदेवमण्यासुरस्स लोगस्स भवई दीवो ताणं सरणं गई पहट्ठा णिव्वाणं 1 णिवई 2 समाही 3 सत्ती 4 कित्ती 5 कंती 6 रई य 7 विरई य 8 सुयंग 9 तित्ती 10 दया 11 विमुत्ती 12 खंती 13 सम्मत्ताराहणा 14 महंती 15 बोही 16 बुद्धी 17 धिई 18 समिद्धी 19 रिद्धी 20 विद्धी 21 ठिई 22 पुट्ठी 23 गंदा 24 भद्दा 25 विसुद्धी 26 लद्धी 27 विसिटविट्ठी 28 कल्लाणं 29 मंगलं 30 पमोओ 31 विमई 32 रक्खा 33 सिद्धावासो 34 अणासवो 35 केवलीण ठाणे 36 सिवं 27 समिई 38 सील 39 संजमोत्ति य 40 सीलपरिघरो 41 संवरो य 42 गत्ती 43 ववसाओ 44 उस्सओ 45 जण्णो 46 आययणं 47 जयणमप्पमाओ 48-49 अस्सासो 50 बीसासो 51 अभओ 52 सव्यस्सवि अमाघाओ 53 चोक्खपवित्ता 54-55 सूई 56 पूया 57 विमल 58 पमासा 56 य जिम्मलयर 60 त्ति एवमाईणि णियय
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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