________________ 1344 अंग-पविट्ट सुत्ताणि दिवसा जाव सिद्धा // 16 // एवं काहा वि णवरं महालयं सीहणिक्कीलियं तवोकम्म जहेव खुड्डागं णवरं चोत्तीसइमं जाव णेयव्वं तहेव ऊसारेयध्वं, एक्काए वरिसं छम्मासा अट्ठारस य दिवसा, च उण्हं छन्वरिसा दो मासा बारस य अहो. रत्ता, सेसं जहा कालीए जाव सिद्धा // 20 // एवं सुकण्हा वि णवरं सत्तसत्तमियं भिक्खपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, पढमे सत्तए एक्केक्क भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ एक्केवकं पाणयस्स, दोच्चे सत्तए दो दो भोयणस्स दो दो पाण. यस्स पडिगाहेइ, तच्चे सत्तए तिण्णि. चउत्थे० पंचमे० छ० सत्तमे मत्तए सत्त दत्तीओ भोयणस्स पडिग्गाहेइ सत्त पाणयस्स, एवं खल एयं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिम एगणपण्णाए राइदिएहिं एगेण य छण्ण उएणं भिक्खासएणं अहा. सुत्ता जाव आराहेत्ता जेणेव अज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवागया 2 ता अज्ज. चदणं अज्जं वंदइ णमंसइ वं० 2 ता एवं वयासी-इच्छामि गं अज्जाओ ! तुहि अब्भणण्णाया समाणी अदृट्टमियं भिक्खपडिम उवसंपज्जिताणं विहरे. त्तए, अहासुहं / तए गं सा सुकम्हा अज्जा अज्जचंदणाए अन्मणण्णाया समाणी अट्रमियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जिताणं विहरइ, पढमे अदए एक्केवक भोय. गस्स दत्ति पडिगाहेइ एक्केक्क पाणयस्स जाव अटुंमे अट्ठए अट्ठ मोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ अट्ठ पाणयस्स, एवं खल एयं अट्ठमियं भिक्खुपडिमं च उसट्ठीए राइदिएहि दोहि य अट्ठासीएहि भिक्खासएहि अहासुतं जाव णवणवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, पढमे णवए एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ एक्केवकं पाणयस्स जाव णवमे णवए गवणव द. भो० पडि०-णव 2 पाणयस्स, एवं खल णवणवमियं भिक्खपडिमं एकासीई राइंदि. एहि चहिं पंचोत्तरेहि भिक्खासएहि अहासुत्ता जाव दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, पढमे दसए एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ. एक्केक्कं पाणयस्स जाव दसमे दसए दस 2 भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ दस 2 पाण य स्स०, एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिम एक्केणं राइदियसएणं अद्धछर्केहि भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव आराहेइ 2 ता बहूहिं च उत्थ जाव मासद्धमासविविहतवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरह, तए णं सा सुकण्हा अज्जा तेणं उरालेणं जाव सिद्धा ॥णिक्खेवओ॥पंचम अज्झयणं // 21 // एवं महाकण्हा वि णवरं खुड्डागं सव्वओभई पडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरइ (20)