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________________ णायाधम्मकहाओ अ. 11 1185 वा विराहगा वा भवंति ? गोयमा ! से जहाणामए एगंसि समुद्दलंसि दावदवा णामं रुक्खा पण्णत्ता किण्हा जाव णिउरुंबभूया पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिज्जमाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणा 2 चिट्ठति / जया णं दीवि. च्चगा ईसि पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति तया गं बहवे दाबद्दवा रुवखा पत्तिया जाव चिट्ठति / अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा जण्णा झोडा परिसडियपंडपत्तपुप्फफला सुक्करुक्खओ विव मिलायमाणा 2 चिट्ठति / एवामेव समणाउसो ! जे अम्हं णिग्गंथो वा 2 जाव पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं.४ सम्म सहइ जाव अहियासेड़ बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं णो सम्म सहइ जाव णो अहियासेइ एस गं मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते समणाउसो ! जया णं सामुद्दगा ईसि पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति तया णं बहवे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा जाव मिलायमाणा 2 चिट्ठति / अप्पेगइया दावदवा रुक्खा पत्तिया पुफिया जाव उवसोभेमाणा 2 चिट्ठति / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिगंथो वा 2 जाव पव्वइए समाणे बहूणं अण्णउत्थियनिहत्थाणं सम्मं सहइ बहूणं समणाणं 4 णो सम्म सहइ एस णं मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते समणाउसो ! जया णं णो दीविच्चगा णो सामुद्दगा ईसि पुरेवाया पच्छावाया जाव महावाया वायंति तए णं सब्वे दावद्दवा रुक्खा जण्णा झोडा 0 / एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वइए समाणे बहणं समणाणं 4 बहणं अण्णउत्थियगिहत्थाणं णो सम्म सहइ एस णं मए पुरिसे सव्व विराहए अण्णत्ते समणाउसो ! जया णं दीविच्चगा वि सामुद्दगा वि ईसि पुरेवाया पच्छावाया जाव वायंति तया णं सव्वे दाव. हवा. रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति / एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं पव. इए समाणे बहूणं समणाणं 4 बहूणं अण्णउत्थियगिहत्थाणं सम्मं सहइ एस गं मए पुरिसे सव्वआराहए पण्णत्ते (समणाउसो !) / एवं खल गोयमा! जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति / एवं खलु जंबू / समणेणं भगवया महा. वीरेणं जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्स अयमठे पण्णत्तेत्तिबेमि // 67 // गाहाओजह दावद्दवतस्वणमेवं साहू जहेव दीविच्चा / वाया तह समणाइयसपक्खवय. णाई दुसहाई // 1 // जह सामुद्दयवाया तहऽण्णतित्थाइकडयवयणाई / कुसुमाइ. संपया जह सिवमग्गाराहणा तह उ // 2 // जह कुसुमाइविणासो सिवमग्ग.
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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