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________________ 1144 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि तह गुरुणो जह पाइजणो तहा समणसंघो / जह वहुया तह भव्वा जह सालि. कणा तह वयाई // 1 // जह सा उज्झियणामा उज्झियसाली जहत्यमभिहाणा। पेसणगारित्तेणं असंखदुक्खक्खणी जाया // 2 // तह भवो जो कोई संघसमक्खं गुरुविदिण्णाई / पडिवज्जिउं समुज्झइ महन्वयाई महामोहा // 3 // सो इह चेव भवंमी जणाण धिक्कारभायणं होइ / परलोए उ दुहत्तो जाणाजोणीसु संचरइ // 4 // जह वा सा भोगवई जहत्थणामोवभुत्तसालिकणा / पेसणविसेस. कारित्तणेण पत्ता दुहं चेव // 5 // तह जो महन्वयाई उवभुंजइ जीवियत्ति पालितो / आहाराइसु सत्तो चत्तो सिवसाहणिच्छाए // 6 // सो एत्थ जहिच्छाए पावइ आहारमाइ लिगित्ति / विउसाण णाइपुज्जो परलोयम्मी दुही चेव॥७॥ जह वा रक्खियवहया रक्खियसालीकणा जहत्थक्खा / परिजणमण्णा जाया भोगसुहाई च संपत्ता // 8 // तह जो जीवो सम्म पडिवज्जित्ता महत्वए पंच / पालेइ णिरइयारे पमायलेसंपि वज्जेंतो // 6 / / सो अप्पहिएक्करई इहलोयंमिवि विहि पणयपओ / एगंतसुही जायइ परम्मि मोक्खंपि पावेइ // 10 // जह रोहिणी उ सुण्हा रोवियसाली जहत्थमभिहाणा / वड्डित्ता सालिकणे पत्ता सध्वस्स सामित्तं // 11 // तह जो भव्यो पाविय वयाई पालेइ अप्पणा सम्म / अण्णेसिवि भव्वाणं देइ अणेगेसि हियहेउं // 12 // सो इह संघपहाणो जगपहाणेति लहइ संसदं / अप्पपरेसि कल्लाणकारओ गोयमपहुव्व ॥१३॥तित्थस्स वुट्टिकारी अक्खेवणओ कुतित्थियाईणं / विउसणरसेवियकमो कमेण सिद्धिपि पावे // 14 // सत्तमं अज्झयणं समत्तं // मल्ली णामं अदमं अज्झयणं जइ गं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स णायज्झयणस्स अयमझें पण्णत्ते अट्ठमस्स णं भंते ! के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं णिसढस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीओयाए महाणईए दाहिणेणं सुहावहस्स वक्खारपन्वयस्स पच्चस्थिमेणं पच्चस्थिमलवणसमद्दस्स पुरथिमेणं एत्थ णं सलिलावई णाम विजए पण्णत्ते / तत्थ णं सलिलावई विजए वीयसोगा णामं रायहाणी पण्णता णवजोयणवित्थिण्णा जाव पच्चक्खं देवलोगभया। तीसे गं
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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