________________ 1060 अंग-पविट्ट सुत्ताणि वेमाणिया / सेवं भंते ! 2 त्ति // 41-4 // कण्हलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मणेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति०? उववाओ जहा धूमप्पभाए सेसं जहा प्रढमुद्दे. सए, असुरकुमाराणं तहेव एवं जाव वाणमंतराणं मणस्साणवि जहेव रइयाणं आयअजसं उवजीवंति अलेस्सा अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति एवं ण भाणियन्वं सेसं जहा पढमुद्देसए / सेवं भंते ! 2 ति॥४१-५।। कण्हलेस्सतेओए. हिवि एवं चेव उद्देसओ, सेवं भंते ! 2 त्ति // 41-6 // कण्हलेस्सदावरजम्मेहि. एवं चेव उद्देसओ / सेवं भंते ! 2 त्ति // 41-7 // कण्हलेस्सकलिओएहिवि एवं चेव उद्देसओ परिमाणं संवेहो य जहा ओहिएसु उद्देसएसु / सेवं मंते ! 2 त्ति // 41-8 // जहा कण्हलेस्सेहि एवं णीललेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा भाणि. यव्वा गिरवसेसा, णवरं रइयाणं उववाओ जहा वालुयप्पभाए, सेसं तं चेव / सेवं भंते ! 2 ति // 41-12 // काउलेस्सेहिवि एवं चेव चत्तारि उद्देसगा कायव्वा णवरं रइयाणं उववाओ जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव / सेवं भंते ! २त्ति // 41-16 // तेउलेस्सरासीजम्मकडजम्मअसुरकुमाराणं भंते ! कओ उववज्जति? एवं चेव णवरं जेसु तेउलेस्सा अस्थि तेसु भाणियव्वं, एवं एएवि कण्हलेस्सासरिसा चत्तारि उद्देसगा कायव्वा / सेवं भंते ! 2 त्ति // 41-20 // एवं पम्हलेस्साएवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणस्साणं वेमाणियाण य एएसि पम्हलेस्सा, सेसाणं णत्थि / सेवं भंते ! 2 त्ति। // 41-24 // जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साएवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा णवरं मणस्साणं गमओ जहा ओहिउद्देसएसु सेसंतं चेव, एवं एए छसु लेस्सासु चउव्वीसं उद्देसगा ओहिया चत्तारि, सव्वे ते अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति // 41-28 // भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मणेर. इया गं भंते ! कओ उववज्जति ? जहा ओहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव णिरवसेसं एए चत्तारि उद्देसगा। सेवं भंते ! 2 ति // 41-32 // कण्ह. लेस्सभवसिद्धियरासीजुम्मकडजभ्मणेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति०? जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमेवि भवसिद्धियकण्हलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा // 41-36 // एवं णीललेस्समवसिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा // 41-40 // एवं काउलेस्सेहिवि चत्तारिं उद्देसगा॥ 4144 // तेउलेस्सेहिविं चत्तारि उद्देसगा ओहियसरिसा // 41-48 // पम्हलेस्से.