________________ / प्रकाशकीय-निवेदन / प० पू० गच्छाधिपति आचार्य श्री माणिक्यसागरसूरीश्वरजी महाराज आदि ठाणा वि. सं. 2010 ना वर्षे कपडवंज शहरमां मीठाभाई गुलाबचंदना उपाश्रये चतुर्मास बीराज्या हता / आ अवसरे तेओश्रीना पवित्र आशीर्वादे आगमोद्धारक-ग्रन्थमालानी स्थापना थएली हती. आ .ग्रन्थमालाए त्यारबाद प्रकाशनोनी ठीकठीक प्रगति करी छ / तेओश्रीनी पुण्यकृपाए आ ‘आगमोद्धारककृतिसंदोह 'नो भाग 5 मो के जेमां -- जैनगीता', 'आगममहिमा' अने 'मुनिवसनसिद्धि' नामनी त्रण भव्य कृतिओ छे ते ग्रन्थने आगमोद्धारक ग्रन्थमालाना 24 मा रत्न तरीके प्रगट करतां अमने बहु हर्ष थाय छे. .. ..आनी प्रेस कोपी तथा आन संशोधन प० पू० गच्छाधिपति आचार्यश्री माणिक्यसागरसूरीश्वरजीनी पवित्र दृष्टि नीचे शतावधानी मुनिराजश्री लाभसागरजीए करेल छे. ते बदल तेओश्रीनी तेमज जेओए आना प्रकाशनमां द्रव्य तथा प्रति आपवानी सहाय करी छे. ते बधा महानुभावोनो आभार मानीए छीए / लि० प्रकाशक