________________ [264 पञ्चकल्प-भाष्ये तहियं पुण केरिसएणं जंपियव्वं तु होति समर्णण / भण्णति सुणसू इणमो जारिसएणं तु वात्तव्व 2371 पारायण समत्ते थिरपरिवाडी पुणा वि संविग्गा / जो णिग्गली दिदिपणे गुरूहिं सो होति पवहारी 72 मूलपाशायणं पढम बतिय बहुमौतमं / ततियं च णिरवसंसं जा सुज्झनि गाहगो 2373 / / सुत्तत्यो चलु पढमो बितिओ गिज्जुत्तिनीसओ भाणओ / तइओ य णिस्वससी एस विही होति अणुआग / / 2374 // पडिणीय संदधम्मो जोणिगाओ अप्पणो सकम्महिं ण हु होति सोपमाणं असमत्तो दलणिग्गमणे : 75 // आयरियादेसाऽवारिएण सत्थे गुणगुणितसरिएण / तो संघमज्झयारे क्वहरियव्वं अणिस्साए // 376 / / आयरिय अणादेसा वारिएण सच्छंदवुद्धिरइएणं / सचित्तखित्तमीसे जो ववहरती ण सो धन्नो // 2377 // सो अभिमुहेति लुद्धा संसारकडिल्लगंमि अप्पाण। उम्मग्गदेसणाए तित्थगरासायणाए य / / 2378 / / उम्मग्गदेसणाए संतस्स छायणाए मग्गस्स / . उम्मग्गदेसगस्सा मासा चत्तारि भारियया // 2379 / /