________________ [ 242] पञ्चकल्प-भाष्ये आहारे अट्ठविहे सेन्जोवहि पंचपंचगविसोही। दसणचरित्तगुत्तो तवसमितिगुणेहिं सो होति 2172 असणादीतो चउहा उवकारि चउव्विहो य तस्सेव / एसट्टविहाहारो परूवणा तस्सिमा होति // 2173 // असणं तु ओदणावी तदुवकारी उ खीरकुसणादी / पाणं तु पाणमेव तु कप्पूरादी तु उवकारी // 2174 / / खाइम फलाइयं तू सुत्ता (ण्ठा) दी होति तदुवकारीतु। साइम तंबोलादी चुण्णादी तदुवकारी तु // 2175 / / एवं आहारादी उग्गमउप्पायाणेसणासुद्धं / उप्पाए दंसणादीहिं जुत्तो अहवा तदट्ठाए // 2176 / / विरतीय अविरती या विरयाविरतीय तिविहकरणंतु एकेकं होति दुहा ओहे य अभिग्गहे चेव // 2177 // विरती करणं ओहे पंचेव महव्वता भवंती तु। होति अभिग्गहकरणं पिंडविसुद्धादिऽणेगविहं 2178 अहवा ओहे संजमो विभागतो होति सत्तरसभेदो। अविरति असंजमोहे अट्ठारस अभिग्गहे इणमो॥ पाणतिवाते मोसे अदत्त मेहुण परिग्गहे चेव / कोहमाण मायलोभे पेजे दोसे तहा कलहे / / 2180 //