________________ [234] पञ्चकल्प-भाष्ये पडिणीय थद्ध सुहसीला गिहिवेयावचकारिता / संसत्त ठवियभत्ता य बाउसी अप्पणहिया / / 2100 // अणायतणगवेसी य छण्णंगाणं पलोइया / जा यऽपण एवमादी अज्जा सणाणुकड्डिया 2101 माहारे उवहिंमि य गतीए सरणासणे सरीरे य। भास ए बाउसाणं जा जहिं आरोवणा भणिता 2102 बासावासं वसति तु एकिया तह य गामऽणुग्गामं / दूइज्जती वियारं विहारभिक्खादि एका य // 2103 // दीहं करति गोयरदोच्चमुक्कस्सगाणि मरगती। चित्तलियादिणियंसण अजुत्तउवही भवति एसा // इरियाभासेसणादाणणिक्खये णिसिरणे अणाउत्ता। अणपुच्छाए गच्छति जत्थिच्छाए य सच्छंदा 2105 गेहेसु मिहत्थाणं गंतुण कहा कहेति काहीया / तरुणादि अहिडते अणुजाणति जा तु सः पडिणी॥ थद्धा जच्चादिमयादिएहिं सुहसीलदुतील त्ति / सिक्णबंधणमादिसु वेदावचं गिहीण करे // 2107 // उत्सवस्थपत्तादिएहिं संसत्तभावसंसत्ता / अहवा वि गिहत्येसुं पाउरणादीसु अविभत्ती 2108