________________ [232] पञ्चकल्प-भाष्ये एत्तो तिगातिरित्तं उग्गमउप्पायणेसणासुद्धं / भजियांत कप्पति त्ती तस्सऽसतीए असुद्धं पि // एसो तु थेरकप्पो वोच्छं अणुवालणाए कप्पं तु / अणुवालिंति सुविहिता गच्छं विहिणा उ जेणं तु // परियट्टी परियéतओ य दुविहो पुणो वि एकेको / उवसग्गखेत्तकाला वसेण अज्जाण परिवठ्ठी // 2084 // परियट्टियव्वयं खलु परियट्टी चेव होति एगढ़। समणा समणीओवा दुविहं परियट्टियव्वं तु 2085 // समणपरियह दुविहो आयरिओ बीयओ उवज्झाओ। संजतिपरियट्टो पुण तिविहो तु पवत्तणीतइया 2086 समणिपरियहि दुविहा विहिपरियट्टी य अविहिए चेव। जतिणि परियट्टीयव्वा णियमेणं कारणेणिमिणा // ताओ बहूवसग्गा तेणादिदुसंचराणि खेत्ताणि / कालवसेण च संपति जायति लोगस्स पंतत्तं 2088 तम्हा सव्वपयत्तण रक्खियव्वा उ ताओ णियभेणं। ण विसतिरा मोत्तन्वा मा होज्जातासि तु विणासो॥ संविग्गगीतपरिणतो तासिं परियडओ अणुन्नाओ। होति पुण अणरिहो खलु परियट्टी तू इमो तासि //