________________ अचेलस्वरूपम् [ 143 ] एत्तो सावज्जाइं चेलाइं संजमोवघातीणि। वज्जेत्ता विहरंतो होइ अचेलो अपरिजुण्णो // 1281 णिग्गहियरागदोसो अणवज्जेहिं अहापरित्तेहिं / अपेहि वि विहरंतो होति अचेलो उ परिजुण्णो // णिरुवहतलिंगभेदे गुरुगा कप्पह य कारणज्जाते। गेलन्न-रोग-लोए सरीरविवेग य कितिकम्मे // 1283 // असिवे ओमोदरिए रायदुढे पवादिदुढे वा / आगाढे अण्णलिंग कालक्खेवो व गमणं वा / अचेलत्ति गतं // 1284 / / सालीघतगुलगोरसणवसु वल्लीफलेसु जातंसु / वाणट्टकरण सड्ढा आहाकम्मे णिमंतणता // 1285 // आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य / तं पुण आहाकम्मं णायव्वं कप्पती कस्स ? // 1286 / / संघस्स पुरिमपच्छिमममणाणं तह य चेव समणीणं / चतुरो उवासगाणं पच्छामण्णायगागमणं // 1287 // संघस्स मज्झिमे पच्छिमे य समणाण तहय समणीणं / चतुरो पडिस्मताणं पच्छा सण्णायगागमणं // 1288 // उज्जु य जड्डा सब्वे पुरिमा चरिमा य वकजड्डा तु / तम्हा तेसिं संरक्खणट्ठ सव्वं पडिक्कुटुं // 1289 // अवगतजडा मज्झिमसाहू तह चेव ते परिणंमति / कप्पाकप्पं दंसिय तेसिं वज्जं पडिकुळें // 1290 //