________________ भावकल्पः कोहं जिणति खमाए मद्दवमादीहिं सेस कलसेऽवि / दमणियमा दोवकं इंदियणोइंदिया होति। दारं 1146 णाणादिएहिं अणिमूहितो तु कम्मस्स णिज्जरट्ठाए / उज्जमति परकमती घडइत्ति य होंति एगट्ठा // 1142 / / जह सुत्त णिहिट्ठो तह कुव्वति जो तु अप्पमाएंतो। सो हु जहुत्ताउत्तो एवं मतिमं वियाणज्जा // 11436 अत्तहा मोक्खछा ण उ इहलोगादि हेउगं कुणति / करणं जोगतिएणं जयणाजुत्तोत्ति अववादे // 1144 / मूलगुण उत्तरे या भावणपणवीस अणिच्च यादी य मेत्ती-पमोय-कारुण-मज्झत्थादीहिं णिकंपो / दारं एसो उ भावकप्पो अहवाणाणादितो पुणो तिविहो / दसणपढमं भण्णति णाणचरित्ता नदायत्ता // 1146 / तो दंसणस्म चैव तु जहिं पदेहिं तु होति उवधातो। ताई इमातिं वोच्छं णिक्खमणादीणि तु कमेण 1147 णिक्खमण गमणभुंजण सादयवयणे य एकवायणिए। दसणणाणाभिगमे रायकुमारे गणहरे य // 114816 णिक्खमण बेंतम्हं अधावहाएन्नुणा ततो भगवं / परिसए वि ण दिक्ख णिक्खंते जेण माहणं // 114