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________________ 232 धार्मिक-वहीवट विचार पूज्यपाद आचार्य भगवंत श्री प्रेमसूरीश्वरजी म. सा.का पू. पं. हिमांशुविजयजी म.सा. परका पत्र आश्विन शुक्ल प. (सं. 2018) परमाध्यपाद आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराजकी ओरसे विनयादि गुणोपेत पंन्यासजी श्री हिमांशुविजयजी आदि ठाणा योग्य अनुवंदना / यहाँ देवगुरु पसाये कुशलता है / आपका पत्र मिला / पढ़कर समाचार विदित हुए / २०२०की सालके लिए अभी कुछ यहाँ विशेष चर्चा नहीं हुई / परंतु सावरकुंडलासे पत्र था, उसमें प्रथम कार्तिकमें ज्ञानपंचमी, चौमासी आदि और दूसरा कार्तिक (मागशीर्षक्षीण) मासमें मौन एकादशी हो तो कोई आपत्ति नहीं एसा उनका अभिप्राय था / दलीलमें मार्गशीर्षक्षीण होनेसे पूर्वके कार्तिक प्रथमको शुद्ध और द्वितीयको अशुद्ध 'धर्म सिन्धु' आदि ग्रंथके पर आधार घोषित किया है / मुनिश्री विनयचंद्र वि.की तबियतके बारेमें लिखा है, वह विदित हुआ तो चिकित्साकी दृष्टिंसे सोनगढ-जीथरी ठीक रहेगा / आपकी अनुकूलताके अनुसार विहार कर वहाँ जाना ठीक होगा / वरघोडाके खर्चके बारेमें लिखा / तो देवद्रव्यमेंसे रथका नकरा और बैन्डका खर्च दिया जा सके / और उसके अनुसार हर सालके लिए, उनके पास जैसी सुविधा हो, उसके अनुसार करें, उसमें कोई हर्ज नहीं / यहाँ सभी मुनिराज सुखशातामें हैं / रत्नत्रयी आराधनामें उज्जवल रहें / ह. यशोभद्रविजयजीकी वंदना
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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