SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 204
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-१ 183 साथ, उनके द्वारा जो हल्लागुल्ला होनेवाला है, उसे देख वर्तमानमें प्रस्तावके विरोधियोंको पुनः विचारणा किये बिना और कोई चारा नहीं, यह स्पष्ट मालूम होता है / लेकिन भाविके चिह्न-लक्षण पहलेसे मालूम हो तो अच्छा है / देरसे समझने पर भारी नुकसान हो चुका होगा ! मुगलोंसे जिनमंदिरोकी रक्षाके लिए जिनमंदिरोंको मस्जिदका आकार दे देने तककी दीर्घदृष्टि हमें भी अपनानी होगी / ___ अन्य गच्छकी साध्वी-संस्थाकी हुई दुर्दशामेंसे पू. सेन सूरिजी म.सा.की अगमबुद्धिसे उत्पन्न हुए पट्टकने हमारे तपागच्छको इस आपत्तिमेंसे बचा लिया यहाँ भी एक अच्छी बात बता दूँ की पूजारी द्वारा होनेवाली घोर आशातना-निवारण करना हो तो जैन संघ पुनः उस वंशपरंपरागत पूजारियोंकी वर्तमान पीढीके बच्चोंको ढूँढ निकाले / उनके लिए जिनपूजाविधिकी तालीमशालाका प्रबंध करे और अच्छा मासिक पुरस्कार देकर, उनके साथ सगे भाई-सा व्यवहार करें / इसके लिए शायद एक करोड रूपयोंकी जरूरत पड़ेगी / लेकिनं धनाढ्य श्रीमंतोको उनके धर्मगुरु इस बातको कब समझायेंगे ? इसका अमल कब करायेंगे ? खैर, अब भी सावधान होकर इस कामको त्वरित गतिसे तपागच्छके सर्वोच्च स्थान पर बिराजमान अग्रगण्य आचार्यगण उठा ले तो वह बहुत अच्छा होगा, लेकिन अब भी ऐसा कुछ करना न हो और केवलं संघर्षकी हवा फैलानेवाला अखबारी या अदालती जंग-संघर्ष जारी रखना हो तो फिर कुछ कहना जरूरी नहीं रहता / संघर्ष के किसी मुद्देके साथ रचनात्मक समाधान भी गर्भित रूपसे जुडा रहता है / वह मार्ग एसी बाबतोंमें न अपनाया जाय ? संमेलनके प्रस्तावका विरोध करनेवाले महानुभाव यदि शास्त्राधार देकर अथवा अमुक स्थान पर प्रस्तावोंके पीछे रही पूर्वभूमिका और उसके आशयों को ध्यानमें लेकर यदि 'संपूर्ण एकता' साधनेमें सहायक बने तो ऐसा संगठन बनेगा, जिसके द्वारा जैनशासनका जयजयकार होगा और..... यदि उससे विपरीत संघर्षमयताकी परिस्थिति उपस्थित की जायेगी तो जिनशासनका पारावार अहित होगा /
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy