SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 106] [श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः / अष्टमो विभागः विहराणू // 328 // दुराहं पायरियाणं दो वेयावच्चकरणनिज्जुत्ता / पाणग. वेयाचे तवस्सिणो वत्ति दो पत्ता // 32 // उव्वत्तण परिवत्तण उच्चारुस्सासवकरणजोगेसु। दो वायगत्तिणजा सुत्तकरणे जहन्नेणं // 330 // असदह वेयणाए पायच्छित्ते पडिक्कमणए य। जोगायकहाजोगे पञ्चक्खाणे य थायरियो // 331 // कप्पाकप्पविहिन्नू दुवालसंगसुयसारही सव्वं / छत्तीसगुणोवेया पच्छित्तविसा(या)रया धीरा // 332 // एए ते निजवया परिकहिया अट्ठ उत्तमट्ठम्मि / जेसिं गुणसंखाणं न समत्था पायया वुत्तु // 333 // एरिसयाण सगासे सूरीणं पवयणप्पवाईणं / पडिबजिज महत्थं समणो अभुजयं मरणं // 334 // श्रायरियउवज्झाए सीसे साहम्मिए कुलगणे य / जे मे किया कसाया (जंमि कसायो कोइवि) सव्वे तिविहेण खामेमि // 335 // सबस्सवि समणसंघस्स भा(भग)वो अंजलिं करे सीसे / सव्वं खमावइत्ता खमामि सबस्स ग्रहयंपि (खमिज सव्वस्तवि सयंमि // 336 // गरहिता अप्पाणं अपुणकारं पडिकमित्ताण / नाणम्मि दंसणम्मि अ चरित्तजोगाइयारे श्र॥ 337 // तो सीलगुणसमग्गो अणुवहयक्खो बलं च थामं च / विहरिज तवसमग्गो अनिवाणो अागमसहायो // 338 // तवसोसियंगमंगो संधिसिराजाल-पागडसरीरो। किच्छाहिय-परिहत्थो परिहरइ कलेवरं जाहे // 331 // पञ्चक्खाइ य ताहे अननसमाहि पत्तियंमित्ती / तिविहेणाहारविहि दियसुग्गइ-का पगईए // 340 // इहलोए परलोए निरायो जीविए अ मरणे य / सायाणुभवे भोगे जस्स य अवहट्टणाईए // 341 // निम्ममनिरहंकारो निरासयोकिंचणो अपडिकम्मो / वोमट्टविसटुंगो चत्तचियत्तेण देहेणं // 342 // तिविहेणवि सहमाणो परीसह दूसहे अ ऊसग्गे / विहरिज विसयतराहा-रयमलमसुभं विहुणमाणो // 343 // नेहक्खए व दीवो जह खयमुवणेइ दीववट्टिट्टिपि / खीणाहारसिणेहो सरीरवट्टि तह ख़वेइ // 34 // एव परज्मा असई परकमे पुब्रमणियसूरीणं / पासम्मि उत्तम? कुजा तो
SR No.004369
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages152
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_chatusharan, agam_aaturpratyakhyan, agam_mahapratyakhyan, agam_bhaktaparigna, agam_tandulvaicharik, agam_sanstarak, agam_gacchachar, & agam_chandra
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy